Edited By Parveen Kumar,Updated: 03 Jan, 2025 08:37 PM
हमेशा कहा जाता है कि पेट की बीमारियां पेट से शुरू होती हैं। अगर पेट साफ रहे, तो शरीर हेल्दी रहता है। लेकिन आजकल वेस्टर्न या इंग्लिश टॉयलेट्स की वजह से कई लोग कब्ज और अन्य पेट संबंधी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं।
नेशनल डेस्क : हमेशा कहा जाता है कि पेट की बीमारियां पेट से शुरू होती हैं। अगर पेट साफ रहे, तो शरीर हेल्दी रहता है। लेकिन आजकल वेस्टर्न या इंग्लिश टॉयलेट्स की वजह से कई लोग कब्ज और अन्य पेट संबंधी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। इन टॉयलेट्स के कारण सही तरीके से मोशन नहीं हो पाता, जिससे पेट साफ नहीं हो पाता और कब्ज जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
इंग्लिश टॉयलेट्स का इतिहास
इंग्लिश टॉयलेट का आविष्कार 1596 में इंग्लैंड के सर जॉन हैरिंगटन ने किया था। हालांकि, इसमें कई खामियां थीं। फिर 1775 में एलेंक्डेंजर कुम्मिंग और 1778 में जोसेफ ब्रामाह ने इसे और बेहतर बनाया, और आज का मॉडर्न इंग्लिश टॉयलेट बना। 19वीं शताब्दी तक इसे लग्जरी माना जाता था, लेकिन अब यह आम हो चुका है, और इसके कारण कब्ज जैसी समस्याएं भी बढ़ने लगी हैं।
बैठने की पोजिशन से होती है परेशानी
इंग्लिश टॉयलेट पर बैठने का तरीका गलत होता है। जब लोग 90 डिग्री एंगल पर बैठते हैं, तो आंतों का रास्ता बंद हो जाता है और मल बाहर नहीं निकल पाता। कुछ लोग कमर झुका कर बैठते हैं, जिससे भी पेट साफ नहीं हो पाता।
इंडियन टॉयलेट हैं बेहतर
गट हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. मणि कुमार के अनुसार, इंडियन टॉयलेट वेस्टर्न टॉयलेट से बेहतर होते हैं। इंडियन टॉयलेट में स्क्वाट पोजीशन में बैठने से मल आसानी से बाहर निकलता है। इसमें आंतों का रास्ता सही रहता है, जबकि वेस्टर्न टॉयलेट में बैठने से मल पेट में ही फंसा रह जाता है।
इंग्लिश टॉयलेट पर बैठने की सही पोजीशन
अगर आपको इंग्लिश टॉयलेट का इस्तेमाल करना ही है, तो एक स्टूल का इस्तेमाल करें और पैर उस पर रखें। इससे शरीर में 35 डिग्री का एंगल बनेगा और पेट से मल पूरी तरह बाहर निकल सकेगा। हालांकि, यह पोजीशन शुरू में अजीब लग सकती है, लेकिन इससे कब्ज की समस्या नहीं होगी।
सुबह खाली पेट पानी पीने की आदत डालें
इंग्लिश टॉयलेट का सही उपयोग करने से पहले सुबह खाली पेट उकड़ू बैठकर गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। यह आंतों को साफ करने में मदद करता है और पेट से मल आसानी से बाहर निकलता है।
पेल्विक बीमारियों का खतरा
रिसर्च में यह पाया गया है कि इंग्लिश टॉयलेट के इस्तेमाल से पेल्विक डिजीज में बढ़ोतरी हुई है, जैसे पाइल्स (बवासीर)। कब्ज के चलते पेट पर जोर डालने से गुदा की नसों में सूजन आ जाती है, और पानी के जेट से भी नसें डैमेज हो सकती हैं।