Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 18 Jan, 2025 03:21 PM
झारखंड के लोहरदगा जिले के महुवरी गांव में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक व्यक्ति के धर्म परिवर्तन के बाद गांव वालों ने उसे अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी। मामला 55 वर्षीय दुखा उरांव के निधन से जुड़ा है, जिन्होंने करीब दस साल पहले...
नेशनल डेस्क: झारखंड के लोहरदगा जिले के महुवरी गांव में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक व्यक्ति के धर्म परिवर्तन के बाद गांव वालों ने उसे अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी। मामला 55 वर्षीय दुखा उरांव के निधन से जुड़ा है, जिन्होंने करीब दस साल पहले सरना धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया था। दुखा उरांव की मौत के बाद गांव में शव को दफनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जो लगभग 36 घंटे तक जारी रहा।
धर्म परिवर्तन के कारण हुआ विवाद
दुखा उरांव ने करीब 10 साल पहले सरना धर्म छोड़कर पैंटीकोस्टल चर्च से जुड़कर ईसाई धर्म अपनाया था। इस दौरान वह रांची में बस गए थे। हाल ही में, 14 जनवरी को रांची में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। दुखा के शव को रविवार को उनके पैतृक गांव महुवरी लाया गया था, लेकिन गांव के ईसाई समुदाय के लोगों ने उनके शव को कब्रिस्तान में दफनाने से मना कर दिया। गांव में अधिकांश लोग एनडब्ल्यूजीईएल चर्च से जुड़े हुए थे, जबकि दुखा पैंटीकोस्टल चर्च से संबंधित थे, यही कारण था कि समुदाय के बीच यह विवाद हुआ। गांव में कब्रिस्तान को लेकर दोनों समुदायों में पहले से ही मतभेद थे और ऐसे में दुखा के शव को दफनाने की अनुमति देने में कोई समझौता नहीं हो सका।
प्रशासन ने हस्तक्षेप किया
शव को दफनाने के लिए शुरू में विवाद बढ़ता देख प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। 36 घंटे तक शव गांव में रखा रहा और बाद में प्रशासन ने हस्तक्षेप कर शव को एक नई जगह पर दफनाने की व्यवस्था की। इसके बाद दुखा उरांव को एक अन्य स्थान पर दफनाया गया।