Edited By Mahima,Updated: 01 Jan, 2025 12:09 PM
संभल में जामा मस्जिद के पास पुलिस चौकी के निर्माण को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने इसे वक्फ की जमीन पर बनाने का आरोप लगाया। ओवैसी ने प्राचीन स्मारक अधिनियम का हवाला देते हुए आपत्ति जताई। इस पर संभल के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने आरोपों को खारिज...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के पास निर्माणाधीन पुलिस चौकी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एआईएमआईएम (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में अपनी आपत्ति जताई है और दावा किया कि जिस स्थान पर पुलिस चौकी बनाई जा रही है, वह वक्फ की जमीन है। इसके अलावा, ओवैसी ने प्राचीन स्मारक अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि संरक्षित स्मारकों के पास निर्माण कार्य पर प्रतिबंध है। इस बयान के बाद, संभल के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने ओवैसी के आरोपों का कड़ा जवाब देते हुए स्थिति स्पष्ट की।
ओवैसी का आरोप
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि जामा मस्जिद के पास पुलिस चौकी बनाने के लिए जो जमीन चुनी गई है, वह वक्फ की जमीन है और यह रिकॉर्ड में दर्ज है। ओवैसी ने इस जमीन के वक्फ की होने का प्रमाण भी अपने ट्वीट में पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया कि यह भूमि मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्ति के रूप में वक्फ बोर्ड के अधीन है। ओवैसी ने इसके साथ ही यह भी कहा कि प्राचीन स्मारक अधिनियम के तहत, कोई भी निर्माण कार्य संरक्षित स्मारकों के पास नहीं किया जा सकता है। उनका कहना था कि जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक और संरक्षित स्मारक है, इसलिए इस स्थान पर पुलिस चौकी का निर्माण कानून का उल्लंघन होगा।
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ओवैसी के आरोपों का जवाब
जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने ओवैसी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि पुलिस चौकी का निर्माण पूरी तरह से नियमों के तहत किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह भूमि स्वतंत्रता के बाद से आज़ाद भूमि के तौर पर दर्ज है और यह नगर पालिका की संपत्ति है। डॉ. पैंसिया ने कहा, "हमारे पास इस स्थान से संबंधित सभी दस्तावेज़ मौजूद हैं, और इन दस्तावेजों में कोई भी रजिस्टर्ड प्रमाण नहीं है जो इस जमीन को वक्फ की भूमि सिद्ध करता हो।" उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई अन्य दस्तावेज़ आता है, तो उसे भी गंभीरता से जांचा जाएगा।
कश्यप समाज के लोगों ने किया दावा
इस मामले में एक और पक्ष सामने आया है। कश्यप समाज के लोगों ने दावा किया था कि जामा मस्जिद के पास स्थित भूमि पूर्व में उनके देवस्थान के रूप में थी। कश्यप समाज ने इस भूमि पर अधिकार का दावा किया और कहा कि यह स्थान उनके धार्मिक स्थल का हिस्सा था। इस पर जिलाधिकारी ने कहा कि हिंदू पक्ष की तरफ से एक आवेदन प्राप्त हुआ था, लेकिन मुस्लिम पक्ष की ओर से अभी तक कोई आवेदन नहीं आया है। डॉ. पैंसिया ने इस पर कहा कि मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है, जो दोनों पक्षों के दावों का परीक्षण करेगी। यह कमेटी जांच के बाद अपनी रिपोर्ट पेश करेगी, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
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संभल की शाही जामा मस्जिद
पुलिस चौकी का निर्माण संभल की शाही जामा मस्जिद से केवल पांच मीटर की दूरी पर हो रहा है, जो विवाद का मुख्य कारण बना हुआ है। चौकी का निर्माण कार्य पिछले पांच दिनों से जारी है और इसमें 70 से ज्यादा मजदूर लगे हुए हैं। फिलहाल, पुलिस चौकी की दीवारें बनकर तैयार हो चुकी हैं, और निर्माण स्थल पर 14 फीट ऊंची दीवार बनाई जा रही है। यह चौकी 300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाई जा रही है। इस निर्माण के लिए जगह का चयन नगर पालिका द्वारा किया गया है, और अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया नगर निगम के नियमों के अनुरूप है।
संभल में पुलिस चौकी का निर्माण
संभल में पुलिस चौकी के निर्माण को लेकर इस विवाद में राजनीति भी घुस चुकी है। जहां असदुद्दीन ओवैसी जैसे मुस्लिम नेताओं ने इसे वक्फ की जमीन बताते हुए विरोध किया है, वहीं कश्यप समाज के लोग भी इसे अपने देवस्थान के रूप में पहचानते हैं। इस विवाद को लेकर स्थानीय नेताओं और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। जिलाधिकारी डॉ. पैंसिया ने इस स्थिति को नियंत्रित करते हुए कहा है कि कानून के अनुसार सभी दावों का परीक्षण किया जाएगा और यदि किसी पक्ष के पास प्रमाण होते हैं, तो उनका सम्मान किया जाएगा।
संभल में जामा मस्जिद के पास बन रही पुलिस चौकी के निर्माण को लेकर जारी विवाद ने एक बार फिर से संवेदनशील धार्मिक और कानूनी मुद्दों को जन्म दिया है। अब यह देखना होगा कि इस मामले की जांच के बाद क्या स्थिति स्पष्ट होती है और क्या निर्माण कार्य कानूनी रूप से पूरी तरह से सही साबित होता है। फिलहाल, डीएम डॉ. पैंसिया के अनुसार, पुलिस चौकी का निर्माण नियमों के तहत जारी रहेगा, लेकिन अगर किसी के पास वैध दस्तावेज़ होते हैं, तो उन्हें भी जांचा जाएगा।