Edited By Mahima,Updated: 15 Mar, 2025 12:20 PM

प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी हेंज वॉन फॉस्टर ने भविष्यवाणी की है कि 2026 में दुनिया का अंत हो सकता है। उनका कहना है कि बढ़ती जनसंख्या, खाद्य संकट, जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित शहरीकरण जैसी समस्याओं के कारण 2026 मानवता के लिए बहुत कठिन हो सकता है। इन...
नेशनल डेस्क: दुनिया के अंत को लेकर कई भविष्यवाणियां समय-समय पर की गई हैं, लेकिन अब तक इनमें से कोई भी सच नहीं साबित हुई है। हाल ही में, प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी हेंज वॉन फॉस्टर ने 13 नवंबर 2026 को दुनिया के अंत का दावा किया है। उन्होंने कहा कि इस दिन के आसपास वैश्विक संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे मानवता को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है। उनके मुताबिक, बढ़ती जनसंख्या, जलवायु परिवर्तन, खाद्य संकट, वनों की कटाई और अनियंत्रित शहरीकरण जैसे कारक मिलकर मानवता के लिए 2026 में अभूतपूर्व संकट पैदा कर सकते हैं।
वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के कारण आ सकता है संकट
हेंज वॉन फॉस्टर ने अपने बयान में बताया कि वैश्विक जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसके कारण प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव बढ़ रहा है। यह जनसंख्या वृद्धि भोजन, पानी और अन्य बुनियादी जरूरतों की बढ़ती मांग पैदा कर रही है, जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। इस बढ़ती आबादी के साथ खाद्य उत्पादन में भी संकट का सामना किया जा सकता है। वॉन फॉस्टर का अनुमान है कि 2026 तक खाद्य असुरक्षा पूरी दुनिया में एक बड़े पैमाने पर बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग भूख और कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। उनका कहना है कि अधिक जनसंख्या का मतलब है अधिक दबाव और सीमित संसाधन, जिससे कई देशों में खाद्य संकट पैदा हो सकता है। इस स्थिति में बड़े पैमाने पर खाद्य उत्पादन, वितरण और आपूर्ति श्रृंखला के संकट उत्पन्न हो सकते हैं।
बढ़ते शहरों में संसाधनों का असमान वितरण
वॉन फॉस्टर ने यह भी कहा कि अनियंत्रित शहरीकरण, यानी शहरों का तेजी से बढ़ना, इस समस्या को और बढ़ा रहा है। बढ़ते शहरों में संसाधनों का असमान वितरण और जनसंख्या घनत्व की समस्या उत्पन्न हो रही है। शहरीकरण के कारण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, गरीबी, भीड़-भाड़, और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसी समस्याएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। शहरी क्षेत्रों में बढ़ती आबादी के साथ बुनियादी सुविधाओं का असमान वितरण भी चिंता का विषय है। कई देशों में, विशेषकर विकासशील देशों में, असमान संसाधन वितरण के कारण गरीबी और भेदभाव की स्थिति बन रही है, जिससे सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है। यह स्थिति अराजकता और संघर्ष की ओर भी ले जा सकती है, जो वैश्विक संकट को और गहरा कर सकती है।
वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन का क्या हो रहा प्रभाव
इसके साथ ही, वनों की अंधाधुंध कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरणीय समस्याएं और भी गंभीर हो सकती हैं। वनों की घटती संख्या के कारण ग्लोबल वार्मिंग और जैव विविधता की हानि जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। इनका प्रभाव पूरी पृथ्वी पर महसूस हो रहा है, जिससे मौसम में बदलाव, बर्फबारी में कमी, समुद्र के स्तर में वृद्धि, और प्राकृतिक आपदाओं की वृद्धि हो रही है।
कैसे बचाव किया जा सकता है?
हेंज वॉन फॉस्टर के मुताबिक, इन संकटों से बचने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, शहरीकरण को नियंत्रित करने के लिए स्मार्ट सिटी और सतत शहरी नियोजन की दिशा में काम करना आवश्यक होगा। इसमें ऊर्जा-कुशल भवन, हरित क्षेत्रों का संरक्षण, और मिश्रित भूमि उपयोग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे संसाधनों का समान वितरण और भीड़-भाड़ को नियंत्रित किया जा सके। इसके साथ ही, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए मेट्रो, बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और साइकिल लेन जैसे विकल्पों को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे ट्रैफिक की समस्या को हल किया जा सके। गरीबी, भीड़भाड़ और असमान विकास से बचने के लिए छोटे उद्यमों को प्रोत्साहन देना, कौशल विकास पर ध्यान देना, और किफायती आवास योजनाओं को लागू करना जरूरी है। इससे झुग्गी-झोपड़ियों की समस्या कम हो सकती है और लोगों को सुरक्षित आवास मिल सकता है।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम
हेंज वॉन फॉस्टर के मुताबिक, पर्यावरणीय संकट से बचने के लिए वनों की कटाई पर काबू पाना, नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाना, और अपशिष्ट प्रबंधन को मजबूत करना जरूरी है। इसके अलावा, जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि लोग संसाधनों के सीमित उपयोग और टिकाऊ जीवनशैली के प्रति जागरूक हो सकें।इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नीति निर्माण को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि वैश्विक संकट से निपटा जा सके। वॉन फॉस्टर का कहना है कि यदि इन उपायों को समय रहते लागू किया जाता है, तो 2026 तक उत्पन्न होने वाले संकटों से बचा जा सकता है।