Edited By Seema Sharma,Updated: 19 Apr, 2022 04:36 PM
गुजरात के गांधीनगर में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर परिसर में सोमवार को छतों पर लगाआ गई सौर परियोजना का उद्घाटन किया गया। यह देश की पहली ‘पोर्टेबल'' यानी आसानी से कहीं भी ले जाने में सुलभ छत पर लगी सौर परियोजना है।
नेशनल डेस्क: गुजरात के गांधीनगर में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर परिसर में सोमवार को छतों पर लगाआ गई सौर परियोजना का उद्घाटन किया गया। यह देश की पहली ‘पोर्टेबल' यानी आसानी से कहीं भी ले जाने में सुलभ छत पर लगी सौर परियोजना है। आधिकारिक बयान के अनुसार, मंदिर परिसर में 10 फोटो वोल्टिक (पीवी) पोर्ट सिस्टम की स्थापना में जर्मन विकास एजेंसी डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) ने सहायता उपलब्ध करायी है। यह प्रणाली पूरे देश में अक्षय ऊर्जा शहरों को विकसित करने के केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की पहल के तहत स्थापित की गई है।
बयान के अनुसार, ‘‘यह देश की पहली ‘पोर्टेबल' छतों पर लगायी जाने वाली सौर परियोजना है। इसका उद्घाटन गांधीनगर में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर परिसर में किया गया।'' पीवी पोर्ट का विनिर्माण दिल्ली के सर्वोटेक पावर सिस्टम्स लि. ने किया है। कंपनी ‘मेक इन इंडिया' के तहत एलईडी, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर और ईवी चार्जिंग उपकरण जैसे उत्पादों का विनिर्माण करती है।
सर्वोटेक पावर सिस्टम्स ने गांधीनगर में स्थापित किए जाने वाले 40 फोटो वोल्टिक पोर्ट सिस्टम में से पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी, जीएसपीसी भवन, इंद्रोदा पार्क, निफ्ट, आर्य भवन और अन्य स्थानों पर 30 से अधिक सिस्टम पहले ही स्थापित कर दिए हैं। पीवी पोर्ट सिस्टम लागत के हिसाब से काफी सस्ता है। इसके रखरखाव की लागत काफी कम है। यह 25 से 30 साल तक चलता है और इसे आसानी से स्थापित किया जा सकता है तथा यह भारतीय जलवायु के हिसाब से पूरी तरह से उपयुक्त है।
यह सौर संयंत्र पूरी तरह से स्वयं की खपत को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है और इससे उत्पन्न बिजली को ग्रिड में नहीं भेजा जाएगा। परंपरागत पीवी प्रणाली के उलट फोटोवोल्टिक पोर्ट के तहत पैनल के नीचे की जगह का उपयोग किया जा सकता है। प्रत्येक प्रणाली से बिजली बिल के रूप में सालाना औसतन 24,000 रुपए की बचत होने का अनुमान है।