Edited By Parminder Kaur,Updated: 22 Dec, 2024 12:21 PM
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (CPSEs) ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में शानदार प्रदर्शन किया है, जिसमें उनका कुल शुद्ध लाभ 47% बढ़कर 3.22 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। यह वृद्धि विशेष रूप से पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनियों के लाभ में आई बढ़ोतरी के...
नेशनल डेस्क. केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (CPSEs) ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में शानदार प्रदर्शन किया है, जिसमें उनका कुल शुद्ध लाभ 47% बढ़कर 3.22 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। यह वृद्धि विशेष रूप से पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनियों के लाभ में आई बढ़ोतरी के कारण संभव हो पाई है।
ऑपरेटिंग CPSEs ने FY24 में 3.22 लाख करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो FY23 में 2.18 लाख करोड़ रुपए था। ऑल इंडिया में सबसे अधिक लाभ प्राप्त करने वाली कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) रही, जिसने FY24 में 40,526 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जो पिछले वर्ष के मुकाबले थोड़ा सा अधिक था। इसके बाद इंडियन ऑयल ने 3.8 गुना लाभ वृद्धि के साथ 39,619 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया।
वहीं भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) सबसे बड़े घाटे वाली CPSE रही, जिसका शुद्ध घाटा FY24 में -5,371 करोड़ रुपए रहा। इसके बाद राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) का घाटा -4,849 करोड़ रुपए रहा।
CPSEs द्वारा FY24 में घोषित किए गए लाभांश में 16.3% की वृद्धि हुई है, जो 1.23 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि FY23 में यह 1.05 लाख करोड़ रुपए था। हालांकि, इन कंपनियों की कुल सकल राजस्व में 4.7% की गिरावट आई है, जो FY24 में 36.08 लाख करोड़ रुपए रही।
केंद्र सरकार द्वारा की गई प्रभावी पूंजी प्रबंधन के कारण 66 सूचीबद्ध CPSEs का कुल बाजार पूंजीकरण (M-cap) FY24 के अंत तक 121% बढ़कर 37.23 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि FY23 में यह 16.85 लाख करोड़ रुपए था। M-Cap में वृद्धि में NTPC, ONGC, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, कोल इंडिया और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियों का प्रमुख योगदान रहा।
वेतन और मजदूरी में FY24 में लगभग 4% की वृद्धि हुई है, जो करीब 1.72 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। वहीं नियमित कर्मचारियों की संख्या 3.1% घटकर 8.1 लाख हो गई, जबकि संविदा कर्मचारियों की संख्या 8.8% बढ़कर 7 लाख हो गई। यह दर्शाता है कि कॉर्पोरेट क्षेत्र में अब संविदा कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे वेतन बिल कम हो रहे हैं। यह मुद्दा हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने भी उठाया था, जिन्होंने कहा कि संविदा कर्मचारियों की बढ़ती संख्या से उपभोक्ता खर्च पर असर पड़ सकता है, क्योंकि इस श्रेणी के कर्मचारियों के साथ नौकरी की अस्थिरता जुड़ी रहती है।
इसके अतिरिक्त CPSEs ने FY24 में अपने अनुसंधान और विकास (R&D) पर खर्च को लगभग 50% बढ़ाकर 10,813 करोड़ रुपये कर दिया, जो FY23 में 7,233 करोड़ रुपये था। इस क्षेत्र में सबसे बड़े योगदानकर्ता इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स, ONGC और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन कंपनियां हैं।