Edited By Palak Chopra,Updated: 29 Nov, 2024 03:57 PM
क्या दिल्ली क्राइम कैपिटल बन चुकी है? खासकर महिलाओं के लिए खौफनाक मेट्रोपॉलिटन सिटी, खौफनाक राजधानी? ये प्रश्न दिल्ली के लिए शर्मनाक है। मगर, दिल्ली में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रही केंद्र सरकारऔर खासतौर से केंद्रीय गृहमंत्रीअमित शाह इस...
नेशनल डेस्क: क्या दिल्ली क्राइम कैपिटल बन चुकी है? खासकर महिलाओं के लिए खौफनाक मेट्रोपॉलिटन सिटी, खौफनाक राजधानी? ये प्रश्न दिल्ली के लिए शर्मनाक है। मगर, दिल्ली में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रही केंद्र सरकारऔर खासतौर से केंद्रीय गृहमंत्रीअमित शाह इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के नाते एलजी विनय सक्सेना भी उतने ही जवाबदेह हैं। शायद यही वजह है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की कानून व्यवस्था को और खासकर महिलाओं की असुरक्षा को आगामी विधानसभा चुनाव में केंद्रीय चुनावी मुद्दा बनाने की पहल कर दी है।
कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और एलजी विनय सक्सेना को सवालों के कठघरे में खड़ा करते हुए आम आदमी पार्टी ने आक्रामक रणनीति अपनाई है। इससे भयमुक्त प्रशासन देने का ढिंढोरा पीटती रही बीजेपी को जवाब देना मुश्किल हो रहा है। अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ दिल्ली,बल्कि यूपी को भी कानून-व्यवस्था के मामले में लपेटे में लिया है, जिसे बीजेपी मॉडल के रूप में पेश करती रही है। दिल्ली में अपराध के मामले में पूरे तथ्यात्मक सबूत के साथ प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके अरविंद केजरीवाल ने चुनावी मुद्दा गढ़ दिया है।
दिल्ली की सुरक्षा में फेल रहे अमित शाह और वीके सक्सेना?
संदेश यही है कि दिल्ली क्राइम कैपिटल बन चुकी है और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एवं एलजी विनय सक्सेना का कार्यकाल दिल्ली के लिए अभिशाप बन चुका है। केंद्रीय गृहमंत्री दिल्ली को सुरक्षित और अपराधमुक्त जीवन देने में विफल रहे हैं और दिल्ली इन दिनों अपराधियों के भरोसे है। एनसीआरबी के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 2013 में जहां 12,888 थे वहीं अब ये बढ़कर 14,446 हो चुके हैं।
दिल्ली की स्थिति यह है कि यहां हर दो घंटे में महिला का अपहरण हो रहा है। महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित मेट्रोपॉलिटन सिटी के रूप में दिल्ली कुख्यात हो गयी है। राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन तीन बलात्कार की घटना ने देश की नींद उड़ा दी है लेकिन आम आदमी पार्टी का कहना है कि एलजी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह गहरी नींद में सो रहे हैं।
दिल्ली में हर दूसरे घंटे होता है महिला का अपहरण
महिलाओं का अपहरण 8065
बलात्कार 1212
अनैतिक तस्करी 42
साइबर क्राइम 128
मानव तस्करी 33
महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल आंकड़े 14,466
बीजेपी के शासन-प्रशासन में बेकाबू हुए अपराध!
आम आदमी पार्टी ने खास तौर से इंगित किया है कि जहां-जहां बीजेपी का शासन है वहां अपराध की घटनाएं बेकाबू हैं। दिल्ली में कानून-व्यवस्था केंद्रीय गृहमंत्रालय देखता है और अपराध बेकाबू हैं। महिलाओं के अत्याचार के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है जहां योगी आदित्यनाथ अपने कथित सुशासन का डंका पीटते नहीं अघाते। बुलडोजर मॉडल वास्तव में अन्याय का मॉडल बनकर पेश हुआ है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। कानून-व्यवस्था के मामले में हर हफ्ते किसी न किसी मामले में योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार लग रही है।
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 65,743 एफआईआर अकेले यूपी में दर्ज हुए हैं जो देश में सबसे ज्यादा है। देश में हर 51वें मिनट पर महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं घट रही है। यूपी का उल्लेख इसलिए भी होता है क्योंकि यहां पुलिस की कस्टडी में हत्या हो जाती है, जज के सामने गोली चल जाती है। यूपी से सटी हुई दिल्ली में भी कानून-व्यवस्था बीजेपी की केंद्र सरकार के हाथों में है। अपराध की संख्या के मामले में अगर यूपी टॉप पर है तो अपराध की दर के मामले में दिल्ली ने पहला मुकाम बना रखा।
केजरीवाल के चिट्ठी लिखने से भी नहीं चेता शासन-प्रशासन
दिल्ली में अपराध की घटनाओं पर चिंता प्रकट करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जून 2023 को ही एलजी को चिट्ठी लिखी थी। मगर, स्थिति सुधरने के बजाए बिगड़ती रही। हर दिन 23 बच्चे, 40 महिलाएं और सीनियर सिटिजन दिल्ली में घृणित अपराध का शिकार हो रहे हैं। जी-20 की आयोजक होकर भी दिल्ली में अपराध की दर देश में शीर्ष पर है जो आश्चर्यजनक है। दिल्ली में 2022 में 4,34,288 आपराधिक मामले दर्ज हुए यानी औसतन 1189 अपराध प्रतिदिन। इन्हीं आंकड़ों के आलोक में आम आदमी पार्टी का आरोप है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कासकर एलजी विनय सक्सेना के नेतृत्व में अपराध की दर बढ़कर 1832.6/लाख आबादी हो चुकी है।
अपराधियों के खिलाफ आरोप दायर करने में भी दिल्ली बहुत पीछे है। केरल में जहां 96 प्रतिशत चार्जशीट दायर हुई है वहीं दिल्ली में महज 30 प्रतिशत। दरअसल अपराधियों के बेखौफ होने की बड़ी वजह यही है। अपराधी जानते हैं कि उनका कुछ बिगड़ना नहीं है और इसलिए वे लगातार अपराध करते हैं। मगर, अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण सबसे बड़ा कारण है अपराधियों के बेखौफ होने का। दिल्ली के तिहाड़ जेल से जिस तरह लॉरेंस बिश्नोई को गुजरात की जेल में ले जाया गया और संगठित अपराध का नेटवर्क चल रहा है वह भी देशव्यापी सवाल बन चुका है।
स्थानीय मुद्दा उठाने में अरविंद केजरीवाल की सानी नहीं है। मेयर के चुनाव में कचरे का ढेर बड़ा मुद्दा बना था और बीजेपी को चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी। आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और खासकर महिलाओँ की सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाने की ठान ली है। अगर आम आदमी पार्टी इसमें कामयाब रहती है तो आधी आबादी का निर्णायक मत चुनाव नतीजे को भी प्रभावित करेगा इसमें कोई संदेह नहीं है। देखना ये है कि बीजेपी किस तरीके से कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर अपना बचाव लेकर सामने आती है। इसमें संदेह नहीं कि महिलाओं की सुरक्षा और अपराध के प्रति जनता का गुस्सा चुनाव में बड़ा असर डालेगा।