Edited By Tanuja,Updated: 10 Dec, 2024 02:28 PM
कनाडा में सिख समुदाय, विशेष रूप से पगड़ी और दाढ़ी रखने वाले सिखों के खिलाफ नस्लीय हमलों और हिंसा में हो रही बढ़ोतरी ने पंजाब में अभिभावकों को गहरी चिंता में डाल दिया
International Desk: कनाडा में सिख समुदाय, विशेष रूप से पगड़ी और दाढ़ी रखने वाले सिखों के खिलाफ नस्लीय हमलों और हिंसा में हो रही बढ़ोतरी ने पंजाब में अभिभावकों को गहरी चिंता में डाल दिया है। वे अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं, जो पढ़ाई या काम के लिए कनाडा गए हैं। कनाडा में सिख समुदाय, जो कुल आबादी का 2.1% है, लंबे समय से नस्लीय भेदभाव और हमलों का शिकार रहा है। हाल के महीनों में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि ने सिख समाज के भीतर भय और आक्रोश पैदा किया है।
प्रमुख घटनाएं
1. हरशणदीप सिंह (20 वर्ष): एडमॉन्टन में सुरक्षा गार्ड की गोली मारकर हत्या।
2. गुरअसीस सिंह (22 वर्ष): सरनिया में सह-कक्षीय युवक द्वारा चाकू से हत्या।
3. रिपुदमन सिंह मलिक: वैंकूवर में गोली मारकर हत्या।
4. हरप्रीत सिंह उप्पल और उनके बेटा (11 वर्ष): एडमॉन्टन में हत्या।
5. पवनप्रीत कौर (21 वर्ष): ओंटारियो में गोली मारकर हत्या।
6. सनराज सिंह (24 वर्ष): अल्बर्टा में गोलियों से छलनी शव मिला।
इतिहासकार प्रो. कुणाल के अनुसार, कनाडा में सिखों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव की घटनाएं नई नहीं हैं। 1907 का बेलिंगहम दंगे में सिख समुदाय को निशाना बनाया गया। 1914 का कामागाटामारू कांड में 376 भारतीय यात्रियों को कनाडा में प्रवेश से रोका गया और भारत वापस भेजा गया, जहां उन्हें उत्पीड़न सहना पड़ा। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा ने कनाडा सरकार से इन घटनाओं पर सख्त कार्रवाई करने की अपील की है।
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एनडीपी नेता जगमीत सिंह और पूर्व रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन भी नस्लीय टिप्पणी और हमलों के शिकार हो चुके हैं। कनाडा में बसे पंजाबी अपने परिजनों और बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। बलवंत सिंह ने कहा, "हमारे बच्चे विदेश में पढ़ाई और नौकरी कर रहे हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं दिल दहला देने वाली हैं।" कनाडा के लेखक सुखविंदर सिंह चोहला ने कहा, "इस प्रकार की घटनाएं सिख समुदाय में असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं। यह कनाडा में सिखों द्वारा बनाई गई प्रतिष्ठा पर भी आघात है।"