Edited By Mahima,Updated: 14 Oct, 2024 12:47 PM
बेंगलुरु के प्रोडक्ट डिजाइनर चंद्र रामानुजन ने स्विग्गी इंस्टामार्ट पर बिना अनुमति 500 ग्राम फ्री टमाटर जोड़ने को 'डार्क पैटर्न' बताया। उनकी सोशल मीडिया पोस्ट ने लोगों को सोचने पर मजबूर किया कि क्या फ्री चीजें जबरदस्ती दी जानी चाहिए। ग्राहकों ने इस...
नेशनल डेस्क: भारत में मार्केटिंग के अनोखे तरीके अक्सर देखने को मिलते हैं, और फ्री चीजें ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करने का एक सामान्य तरीका बन गई हैं। जब भी लोग सब्जी खरीदने जाते हैं, तो अक्सर उन्हें धनिया, हरी मिर्च या अन्य चीजें मुफ्त में मिल जाती हैं। यह आमतौर पर ग्राहकों को खुश करने का एक तरीका होता है। लेकिन हाल ही में बेंगलुरु के एक प्रोडक्ट डिजाइनर ने एक घटना के जरिए इस पर सवाल उठाया है।
मामला क्या है?
चंद्र रामानुजन नामक इस डिजाइनर ने स्विग्गी इंस्टामार्ट से ऑर्डर करने पर एक अनोखा अनुभव साझा किया। उन्होंने देखा कि उनके ऑर्डर में बिना उनकी अनुमति के 500 ग्राम टमाटर मुफ्त में जोड़ दिए गए थे। यह टमाटर उनके ऑर्डर का हिस्सा बना, और हटाने का कोई विकल्प नहीं दिया गया। चंद्र ने इसे ‘डार्क पैटर्न’ करार दिया, जिससे उनका उद्देश्य यह बताना था कि कंपनियों को ग्राहकों की पसंद का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "यह भले ही मुफ्त हो, लेकिन यह ग्राहकों की मर्जी के खिलाफ है।" चंद्र की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई और इसे 68,000 से अधिक बार देखा गया। इस पर प्रतिक्रियाएं भी आईं, जिसमें कुछ लोगों ने उनकी बात से सहमति जताई और कुछ ने इसका विरोध किया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे ने एक गंभीर चर्चा शुरू कर दी है। कई यूजर्स हैरान थे कि कैसे फ्री चीजों को डार्क पैटर्न माना जा सकता है। एक यूजर ने लिखा, "मुझे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन यह फिर भी आ रहा है।" इस तरह की टिप्पणियों से यह स्पष्ट होता है कि कुछ लोग इसे एक सामान्य मार्केटिंग तकनीक मानते हैं। वहीं, कई अन्य यूजर्स ने चंद्र के विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ग्राहकों को यह अधिकार होना चाहिए कि वे यह तय करें कि उन्हें क्या चाहिए और क्या नहीं। एक यूजर ने टिप्पणी की, "मुफ्त में कुछ भी पेश करें, लेकिन ग्राहक को यह चुनने का अधिकार होना चाहिए कि वह इसे लेना चाहता है या नहीं।"
क्या है डार्क पैटर्न?
‘डार्क पैटर्न’ एक ऐसा शब्द है जो उन डिज़ाइन तकनीकों को दर्शाता है, जो ग्राहकों को किसी विशेष निर्णय या क्रिया के लिए मजबूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य ग्राहक को भ्रमित करना और उनकी मर्जी के खिलाफ निर्णय लेना होता है। चंद्र रामानुजन ने इस उदाहरण के माध्यम से दिखाया कि कैसे कंपनियां ग्राहकों की मर्जी को नजरअंदाज कर सकती हैं, भले ही वह एक मुफ्त ऑफर हो।
ग्राहकों के अधिकार
इस मामले ने यह सवाल भी उठाया है कि क्या कंपनियों को ग्राहकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। कई लोग यह मानते हैं कि फ्री चीजों के साथ भी ग्राहकों को यह चुनने का अधिकार होना चाहिए कि वे उन्हें स्वीकार करें या नहीं। ग्राहकों की संतोषजनक अनुभव को बनाए रखने के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहलू है। कंपनियों को यह समझना चाहिए कि ग्राहक केवल उनके ऑफर्स के लिए नहीं, बल्कि उनके अनुभव के लिए भी उनके पास आते हैं।
इस घटनाक्रम ने स्पष्ट किया है कि स्विग्गी जैसी कंपनियों को ग्राहकों की राय और अनुभव को समझना चाहिए। यह सिर्फ एक टमाटर का मामला नहीं है, बल्कि यह ग्राहकों के अधिकारों और संतोष की बात भी है। ग्राहक हमेशा एक बेहतर अनुभव की तलाश में रहते हैं, और कंपनियों को इसे ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों को विकसित करना चाहिए। आखिरकार, एक ग्राहक खुश होगा तभी वह बार-बार किसी प्लेटफार्म का इस्तेमाल करेगा। यदि कंपनियाँ ग्राहकों की प्राथमिकताओं का सम्मान नहीं करती हैं, तो यह उनके लिए दीर्घकालिक नुकसान का कारण बन सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि कंपनियाँ अपने ग्राहकों की जरूरतों और अपेक्षाओं को समझें और उन पर ध्यान दें।