Edited By Mahima,Updated: 15 Feb, 2025 11:34 AM
![cvc begins detailed investigation into sheeshmahal on bjp s complaint](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_11_31_007586704kejriwal-ll.jpg)
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत के बाद अरविंद केजरीवाल के आवास 6 फ्लैग स्टाफ बंगले के रेनोवेशन मामले में विस्तृत जांच का आदेश दिया है। आरोप है कि इस निर्माण में भवन निर्माण मानकों और FAR का उल्लंघन हुआ है, साथ ही...
नेशनल डेस्क: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं, क्योंकि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने बीजेपी की ओर से उठाए गए 'शीशमहल' आरोपों पर विस्तृत जांच शुरू करने का आदेश दिया है। यह मामला केजरीवाल के सरकारी आवास 6 फ्लैग स्टाफ बंगले के रेनोवेशन से जुड़ा हुआ है, जिसमें कथित तौर पर निर्माण के नियमों का उल्लंघन किया गया है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता ने 14 अक्टूबर 2024 को केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए बनाए गए इस भव्य आवास के निर्माण में नियमों का उल्लंघन किया गया है। गुप्ता ने आरोप लगाया था कि इस आवास के लिए 40,000 वर्ग गज (8 एकड़) क्षेत्र में फैले भवन का निर्माण किया गया, जो भवन निर्माण मानकों और फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) के उल्लंघन का प्रतीक है।
इसके अलावा, गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि राजपुर रोड स्थित प्लॉट नंबर 45 और 47, साथ ही फ्लैग स्टाफ रोड पर 8-ए और 8-बी सरकारी बंगले को ध्वस्त कर दिया गया और उनका हिस्सा केजरीवाल के नए आवास में विलय कर दिया गया। इस विलय को लेकर गुप्ता ने दावा किया कि इससे सरकारी संपत्तियों का गलत तरीके से उपयोग हुआ और यह नियमों के खिलाफ था। शिकायत के बाद, CVC ने 5 दिसंबर 2024 को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट की जांच शुरू की थी, जो सीपीडब्ल्यूडी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) द्वारा तैयार की गई थी। इस रिपोर्ट में इन आरोपों की पुष्टि की गई कि निर्माण में कुछ मानदंडों का उल्लंघन हुआ है, लेकिन यह भी कहा गया कि कुछ पहलुओं को और अधिक ध्यान से जांचने की जरूरत है।
फिर 13 फरवरी 2025 को CVC ने सीपीडब्ल्यूडी के मुख्य सतर्कता अधिकारी से और गहरी जांच करने को कहा। आयोग ने यह निर्देश दिया कि पूरे मामले की जांच की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी प्रकार का उल्लंघन न हुआ हो। सीवीसी ने कहा कि इस मामले में निर्माण के सभी पहलुओं की व्यापक जांच होनी चाहिए, ताकि स्पष्ट हो सके कि क्या सरकारी संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग किया गया है या नहीं। यह मामला अब केजरीवाल के लिए एक नया कानूनी संकट उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि अगर जांच में आरोपों की पुष्टि होती है, तो उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।