Edited By Rohini Oberoi,Updated: 20 Jan, 2025 09:29 AM
बेंगलुरु की आईटी इंडस्ट्री में काम करने वाले विजय कुमार के साथ 11 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया है। ठगों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर विजय से आधार, पैन और KYC जैसी जरूरी जानकारी निकलवाई और फिर उनके पैसों को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर...
नेशनल डेस्क। बेंगलुरु की आईटी इंडस्ट्री में काम करने वाले विजय कुमार के साथ 11 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया है। ठगों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर विजय से आधार, पैन और KYC जैसी जरूरी जानकारी निकलवाई और फिर उनके पैसों को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर लिया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो इसमें इंटरनेशनल लिंक पाए गए। अभी तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और मामले की जांच जारी है।
कैसे हुई ठगी?
विजय कुमार एक कंपनी में काम करते हैं और उनके पास 50 लाख रुपये के शेयर थे जिनकी कीमत बढ़कर 12 करोड़ रुपये हो गई थी। यह जानकारी किसी तरह ठगों तक पहुंच गई।
1. ठगों की रणनीति:
➤ ठगों ने विजय से संपर्क किया और खुद को पुलिस, कस्टम और प्रवर्तन निदेशालय (ED) का अधिकारी बताया।
➤ उन्होंने विजय को मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे केस में फंसाने और गिरफ्तारी की धमकी दी।
2. डर का फायदा उठाया:
➤ विजय ने डरकर अपने आधार, पैन और KYC की जानकारी ठगों को दे दी।
➤ कई महीनों तक उनसे अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कराए गए।
3. ठगी का खुलासा:
➤ ठगों ने बताया कि यह प्रक्रिया सरकारी काम का हिस्सा है।
➤ जब विजय को ठगी का एहसास हुआ तब उन्होंने साइबर क्राइम पुलिस को शिकायत दी।
पुलिस की जांच में क्या पता चला?
➤ पुलिस ने इलाहाबाद के एक बैंक खाते से 7.5 करोड़ रुपये बरामद किए।
➤ पता चला कि ठगी के पैसे से गुजरात के सूरत में सोना खरीदा गया।
➤ यह काम धवल शाह नाम के एक ब्रोकर ने किया था जिसे इसके बदले 1.5 करोड़ रुपये कमीशन मिला।
दुबई से निकला ठगी का कनेक्शन
जांच में सामने आया कि धवल शाह ने यह सब दुबई में बैठे एक ठग के निर्देश पर किया। सोना खरीदने के बाद इसे "नील भाई" नाम के एक व्यक्ति को सौंप दिया गया।
गिरफ्तार आरोपी
धवल शाह:
➤ ठगी के पैसे से सोना खरीदा और उसे आगे पहुंचाया।
तरुण नतानी:
➤ नकली सिम कार्ड और फर्जी बैंक खाते उपलब्ध कराए।
➤ VPN के जरिए ठगी को छुपाने में मदद की।
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ठगी का नया तरीका
पुलिस ने इस ठगी को अंजाम देने वाले नेटवर्क के फर्जी KYC और डिजिटल धोखाधड़ी के तरीकों का भी पता लगाया है।
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पुलिस का बयान
➤ पुलिस को शक है कि इसी नेटवर्क ने और भी लोगों को निशाना बनाया है।
➤ नॉर्थ-ईस्ट डिवीजन साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर जांच जारी है।
➤ बाकी आरोपियों को पकड़ने और पूरे इंटरनेशनल नेटवर्क का खुलासा करने के लिए पुलिस दायरा बढ़ा रही है।
बता दें कि यह घटना साइबर सुरक्षा को लेकर बड़ी चेतावनी है। सरकारी अधिकारियों के नाम पर ठगी करना आम होता जा रहा है। लोग किसी भी पर्सनल जानकारी को शेयर करने से पहले पूरी तरह से सतर्क रहें और संदिग्ध कॉल्स या ईमेल पर विश्वास न करें।