Edited By Anu Malhotra,Updated: 21 Feb, 2025 09:07 AM
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मोबाइल फ्रॉड और साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक सख्त कदम उठाया है। टेलीकॉम विभाग (DoT) ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया है कि नए सिम कार्ड कनेक्शन के लिए आधार-बेस्ड बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन को अनिवार्य किया जाए। इस फैसले का...
नई दिल्ली: मोबाइल फ्रॉड और साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक सख्त कदम उठाया है। टेलीकॉम विभाग (DoT) ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया है कि नए सिम कार्ड कनेक्शन के लिए आधार-बेस्ड बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन को अनिवार्य किया जाए। इस फैसले का उद्देश्य फर्जी दस्तावेजों के जरिए सिम कार्ड लेने की बढ़ती घटनाओं को रोकना है, जिनका इस्तेमाल वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर अपराधों में किया जाता है।
नए सिम कार्ड के लिए आधार अनिवार्य
रिपोर्ट के अनुसार, पहले उपभोक्ता वोटर आईडी, पासपोर्ट या किसी अन्य सरकारी आईडी का इस्तेमाल करके नया सिम कार्ड ले सकते थे। लेकिन अब नए नियमों के तहत, सभी सिम कार्ड एक्टिवेशन के लिए आधार-बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जरूरी होगा।
- रिटेलर्स को बिना बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन सिम कार्ड बेचने की अनुमति नहीं होगी।
- ग्राहक के नाम पर पहले से कितने सिम कार्ड एक्टिव हैं, इसकी जांच की जाएगी।
- अगर किसी ग्राहक ने अलग-अलग नाम से सिम लिए हैं, तो उसकी भी जांच होगी।
- ग्राहक की पहचान सुनिश्चित करने के लिए 10 अलग-अलग एंगल से फोटो लेना भी अनिवार्य होगा।
फर्जी सिम कार्ड पर सख्त कार्रवाई
यह फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी समीक्षा बैठक के बाद लिया गया है। बैठक में यह पाया गया कि कई वित्तीय घोटालों और साइबर अपराधों में फर्जी सिम कार्ड का दुरुपयोग किया गया था। कई मामलों में एक ही डिवाइस से कई सिम कार्ड लिंक थे, जो टेलीकॉम नियमों का उल्लंघन है।
सरकार के निर्देश:
- टेलीकॉम विभाग (DoT) कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies) के साथ मिलकर अपराधियों की पहचान करेगा।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स का इस्तेमाल कर संदिग्ध सिम कार्ड की जांच की जाएगी।
- फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए सिम जारी करने वाले रिटेलर्स पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मोबाइल नेटवर्क की सुरक्षा होगी मजबूत
सरकार के इस नए नियम से साइबर अपराधों और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आने की उम्मीद है। आधार-बेस्ड वेरिफिकेशन लागू होने से मोबाइल नंबरों की निगरानी आसान होगी और टेलीकॉम सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा। यह कदम मोबाइल नेटवर्क की सुरक्षा को मजबूत करने और नागरिकों को फ्रॉड से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।