Edited By Anu Malhotra,Updated: 27 Nov, 2024 04:48 PM
मुंबई के कोलाबा इलाके में 75 वर्षीय रिटायर्ड शिप कैप्टन के साथ 11.16 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इसे इस साल मुंबई में दूसरा सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड बताया जा रहा है।
नेशनल डेस्क: मुंबई के कोलाबा इलाके में 75 वर्षीय रिटायर्ड शिप कैप्टन के साथ 11.16 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इसे इस साल मुंबई में दूसरा सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड बताया जा रहा है।
कैसे बुना जाल?
घटना की शुरुआत 19 अगस्त 2024 को हुई, जब पीड़ित को एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया। इस ग्रुप में आन्या स्मिथ नामक महिला ने खुद को निवेश विशेषज्ञ बताते हुए शेयर बाजार में मुनाफे का दावा किया। महिला ने एक लिंक के जरिए पीड़ित को एक ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करवाया। ऐप पर भारी मुनाफा दिखाकर उसे शेयरों में निवेश के लिए प्रेरित किया गया।
कैसे हुई ठगी?
पीड़ित को कई बैंक खातों में 22 बार पैसे जमा करने के लिए कहा गया। 5 सितंबर से 19 अक्टूबर के बीच, उसने अलग-अलग खातों में 11.16 करोड़ रुपये भेज दिए। हर बार उसे मुनाफा दिखाया जाता रहा, जिससे उसका शक दूर हो गया।
जब उसने मुनाफा निकालने की कोशिश की, तो उसकी रिक्वेस्ट को खारिज कर दिया गया। फिर उससे 20% सर्विस टैक्स चुकाने के लिए कहा गया। टैक्स चुकाने के बाद भी उससे नए चार्जेज के लिए पैसे मांगे गए। तब जाकर उसे महसूस हुआ कि वह धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है।
सच्चाई का पता लगाने के लिए वह फाइनेंशियल सर्विस कंपनी के हेडक्वार्टर गया, जहां उसे पता चला कि उसने फर्जी कंपनी में पैसा लगाया है। इसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जिन खातों में पैसे भेजे गए थे, वे देश के अलग-अलग शहरों जैसे भोपाल, नागपुर, सूरत, लखनऊ और जयपुर में मौजूद थे। ये खाते यूको बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, केनरा बैंक, बंधन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और कैथोलिक सीरियन बैंक के थे। पुलिस ने बैंकों से खाताधारकों की जानकारी मांगी है।
गौरतलब है कि इससे पहले अप्रैल 2024 में मुंबई की एक सीनियर सिटीजन से 25 करोड़ रुपये की डिजिटल ठगी का मामला सामने आया था, जो इस साल का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड है।
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर दें। अधिकारियों ने कहा है कि जितनी जल्दी रिपोर्ट दर्ज की जाएगी, पैसे वापस मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।