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Bihar Assembly Elections 2025: दशरथ मांझी के बेटे ने बदला पाला, भागीरथ मांझी ने थामा कांग्रेस का हाथ

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 28 Jan, 2025 01:54 PM

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बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं। इसी कड़ी में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी अब कांग्रेस पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। यह कदम बिहार...

नेशनल डेस्क: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं। इसी कड़ी में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी अब कांग्रेस पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। यह कदम बिहार के महादलित समाज को साधने के लिए कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, खासकर मांझी समाज को अपने पक्ष में लाने के लिए।

क्या महादलित और पिछड़ा समाज को साधने की कोशिश

भागीरथ मांझी के साथ-साथ पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर और कुम्हार समाज के नेता मनोज प्रजापति भी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। ये तीनों नेता महादलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ा समाज से आते हैं, जिनका प्रभाव बिहार के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। कांग्रेस इन नेताओं को पार्टी में शामिल करके एक स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव के लिए गंभीर है और समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने का इरादा रखती है।

जेडीयू में नजरअंदाजी के बाद पाला बदलने का कारण

भागीरथ मांझी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जेडीयू में शामिल होने का फैसला किया था। हालांकि, अब वे कांग्रेस का दामन थामने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि जेडीयू में उन्हें उपेक्षित महसूस हो रहा था, जिससे उनके राजनीतिक कदम में यह बदलाव आया। 18 जनवरी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पटना दौरे के दौरान भागीरथ मांझी को सम्मानित किया था। इस अवसर के बाद यह संभावना जताई जा रही थी कि भागीरथ मांझी जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, और अब उन्होंने अपनी पार्टी बदलने का फैसला ले लिया है।

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दशरथ मांझी का राजनीतिक प्रभाव और कांग्रेस का रणनीतिक कदम

भागीरथ मांझी का राजनीतिक प्रभाव खासतौर पर गया जिले में मजबूत है, जहां पर उनकी पहचान महादलित और मुसहर जाति के नेता के रूप में है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का भी इस क्षेत्र में प्रभाव है, और भागीरथ मांझी को उनके खिलाफ एक मजबूत विरोधी के तौर पर देखा जाता है। कांग्रेस इस कदम से महादलित और पिछड़ा समाज को अपने पक्ष में लाने की कोशिश करेगी, ताकि विधानसभा चुनाव में उनकी स्थिति मजबूत हो सके।

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कांग्रेस के लिए यह कदम क्यों अहम है?

कांग्रेस पार्टी के लिए यह कदम बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि बिहार में महादलित समाज और पिछड़ी जातियों का समर्थन चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, अगले महीने कांग्रेस 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान सम्मेलन' का आयोजन करने जा रही है, जो बिहार के मतदाताओं के बीच कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने का एक बड़ा प्रयास है। चंपारण से इस सम्मेलन की शुरुआत हो सकती है, जिससे कांग्रेस के चुनावी अभियान को और बल मिलेगा।

 

 

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