Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Feb, 2025 01:26 PM
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गुजरात उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि सरकारी दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस में दर्ज जन्मतिथि को किसी व्यक्ति की असली जन्मतिथि का अंतिम प्रमाण नहीं माना जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि...
नई दिल्ली: गुजरात उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि सरकारी दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस में दर्ज जन्मतिथि को किसी व्यक्ति की असली जन्मतिथि का अंतिम प्रमाण नहीं माना जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल जन्म और मृत्यु पंजीकरण रजिस्टर में दर्ज जन्म प्रमाण पत्र में लिखी जन्मतिथि ही कानूनी रूप से मान्य मानी जाएगी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका से जुड़ा था, जिसमें उसने अपनी जन्मतिथि को सरकारी दस्तावेजों में दर्ज तिथियों से मेल खाने के लिए संशोधित करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसकी जन्मतिथि 20 अगस्त, 1990 है, जैसा कि उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, चुनाव कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे विभिन्न दस्तावेजों में लिखा गया है। हालांकि, अहमदाबाद नगर निगम द्वारा जारी उसके जन्म प्रमाण पत्र में जन्मतिथि 16 अगस्त, 1990 दर्ज है। याचिकाकर्ता ने अदालत से यह अनुरोध किया कि वह अहमदाबाद नगर निगम (AMC) को उसके जन्म प्रमाण पत्र में संशोधन करने का आदेश दे, ताकि वह अन्य दस्तावेजों से मेल खा सके।
अदालत का निर्णय
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मामले में याचिका खारिज कर दी और कहा कि केवल जन्म प्रमाण पत्र में दर्ज जन्मतिथि ही अंतिम और प्रमाणिक मानी जाएगी। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के अस्पताल के रिकॉर्ड ने उसकी असली जन्मतिथि 16 अगस्त, 1990 की पुष्टि की, जो जन्म प्रमाण पत्र में लिखी तारीख से मेल खाती है। इसके विपरीत, अन्य दस्तावेज जैसे स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस, सभी याचिकाकर्ता या उसके परिवार द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित थे। इस कारण, इन दस्तावेजों को अंतिम प्रमाण नहीं माना जा सकता।
अदालत का तर्क
अदालत ने यह भी कहा कि जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल के रिकॉर्ड पर आधारित है और इसे किसी व्यक्ति की जन्म तिथि का सबसे विश्वसनीय और सही प्रमाण माना जाता है। अन्य दस्तावेजों में कभी-कभी गलत जानकारी या संशोधन हो सकते हैं, इसलिये अदालत ने जन्म प्रमाण पत्र को इस मामले में अंतिम और सबसे प्रमाणिक स्रोत माना।
भविष्य के मामलों पर प्रभाव
इस फैसले से यह साफ हो गया कि अब से कोई भी व्यक्ति अगर अपने सरकारी दस्तावेजों में जन्मतिथि के संबंध में सुधार चाहता है, तो उसे आधिकारिक जन्म प्रमाण पत्र में दर्ज तिथि को ही अंतिम प्रमाण मानकर काम करना होगा। यह निर्णय भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बनेगा, जहां विभिन्न सरकारी दस्तावेजों में जन्मतिथि में विसंगतियां हो सकती हैं।