Mata Vaishno Devi Diwali: माता वैष्णो देवी और अयोध्या में 1 नवंबर को मनाई जाएगी दिवाली, धर्म सभा ने की घोषणा

Edited By Anu Malhotra,Updated: 30 Oct, 2024 10:06 AM

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देशभर में दिवाली की तिथि को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। अयोध्या और कटरा स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर में 1 नवंबर को दिवाली मनाने का फैसला किया गया है। इस निर्णय पर देशभर के प्रमुख विद्वानों, ज्योतिषाचार्यों और धार्मिक गुरुओं ने इंदौर और...

नेशनल डेस्क: देशभर में दिवाली की तिथि को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। अयोध्या और कटरा स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर में 1 नवंबर को दिवाली मनाने का फैसला किया गया है। इस निर्णय पर देशभर के प्रमुख विद्वानों, ज्योतिषाचार्यों और धार्मिक गुरुओं ने इंदौर और अयोध्या में आयोजित धर्म सभा में सहमति जताई। साथ ही, इंदौर के संस्कृति विश्वविद्यालय ने भी इस निर्णय का समर्थन करते हुए 1 नवंबर को दिवाली पर्व मनाने की घोषणा की है।

धर्म सभा में लिया गया सर्वसम्मति से निर्णय
इंदौर और अयोध्या में आयोजित धर्म सभा में देशभर से आए धार्मिक विद्वानों और ज्योतिषाचार्यों ने हिस्सा लिया। गहन विचार-विमर्श के बाद सभा ने पंचांग के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि इस वर्ष 1 नवंबर को ही दिवाली मनाई जानी चाहिए। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार, 1 नवंबर को शाम 6:15 बजे शुभ मुहूर्त के अनुसार दिवाली की पूजा का समय तय किया गया है। विद्वानों का मानना है कि तिथियों के आधार पर दिवाली मनाने से धार्मिक परंपराओं का सम्मान होगा और देशभर में एक समान धार्मिक भावना का संचार होगा।

संस्कृति विश्वविद्यालय का समर्थन और विशेष आयोजन
इंदौर के संस्कृति विश्वविद्यालय ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए घोषणा की है कि 1 नवंबर की शाम 6:15 बजे विशेष दिवाली पूजा और दीपोत्सव आयोजित किया जाएगा। विश्वविद्यालय के कुलपति ने इसे धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताते हुए सभी विद्यार्थियों और कर्मचारियों से इस तिथि को उत्साहपूर्वक दिवाली मनाने का आग्रह किया। उन्होंने इसे एक नई परंपरा की शुरुआत मानते हुए कहा कि इस निर्णय का पालन पूरे देश को करना चाहिए।

दिवाली पर्व का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, दिवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। हिंदू शास्त्रों और पंचांग की गणनाओं के अनुसार, इस वर्ष दिवाली के शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को पड़ रहे हैं। धर्म सभा में चर्चा के दौरान यह भी कहा गया कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से त्योहारों का सही तिथि पर मनाना अनिवार्य होता है। इस वर्ष 1 नवंबर को दिवाली का विशेष महत्व बताया गया है।

संतों और धार्मिक गुरुओं की देशवासियों से अपील
धर्म सभा के बाद विभिन्न संतों और धार्मिक गुरुओं ने देशवासियों से इस वर्ष 1 नवंबर को दिवाली का पर्व मनाने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि यह निर्णय शास्त्रों और पंचांग के आधार पर लिया गया है, ताकि धार्मिक परंपराओं का सम्मान हो सके। अयोध्या जैसे पवित्र स्थल से लिए गए इस निर्णय को पूरे देश में अपनाने की अपील भी की गई है।

अयोध्या में भव्य दीपोत्सव की तैयारियां
अयोध्या प्रशासन ने इस निर्णय के बाद 1 नवंबर को दिवाली मनाने के लिए विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं। राम की पैड़ी, सरयू तट, और अन्य पवित्र स्थलों को दीपों से सजाने की योजना है। अयोध्या में हर साल की तरह इस बार भी भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें लाखों दीयों से अयोध्या को रौशन किया जाएगा। आयोजन में संतों, महंतों और धार्मिक गुरुओं की उपस्थिति भी रहेगी।

देशभर में नई परंपरा की उम्मीद
इस निर्णय से देशभर में धार्मिक आयोजनों और त्योहारों को पंचांग के अनुसार मनाने की एक नई परंपरा की शुरुआत हो सकती है। ज्योतिषाचार्यों और धार्मिक विद्वानों का मानना है कि यह कदम धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए अहम साबित होगा, जिससे देशभर में धार्मिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान बढ़ेगा।

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