भारत में दूध उत्पादन में गिरावट, भविष्य में बढ़ सकती है मांग

Edited By Radhika,Updated: 19 Dec, 2024 11:41 AM

decline in milk production in india demand may increase in future

देश में दूध उत्पादन को लेकर हाल ही में नए आंकड़े सामने आए हैं। इसके अनुसार  वित्त वर्ष 2023-24 में दूध उत्पादन वृद्धि महज 3.78% रही। यह 2022-23 की ग्रोथ 3.83% से भी कम है। इन दो वर्षों से पहले वित्त वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच सालाना औसत ग्रोथ 6%...

नेशनल डेस्क: देश में दूध उत्पादन को लेकर हाल ही में नए आंकड़े सामने आए हैं। इसके अनुसार  वित्त वर्ष 2023-24 में दूध उत्पादन वृद्धि महज 3.78% रही। यह 2022-23 की ग्रोथ 3.83% से भी कम है। इन दो वर्षों से पहले वित्त वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच सालाना औसत ग्रोथ 6% से ऊपर रही थी। दूध के उत्पादन में आई बड़ी गिरावट ने इंडस्ट्री में चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो देश में दूध की डिमांड, वार्षिक उत्पादन से अधिक हो सकती है। इस वजह से दूध की कीमतों में इजाफा हो सकता है, जो पिछले 3 वर्षों में 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम गर्भाधान जैसी तकनीकी समस्याएं, कोविड महामारी के दौरान आई बाधाएं और कम बारिश के कारण दूध उत्पादन में कमीं आई है।

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इन वजहों से दूध उत्पादन में आ रही है कमी

भैंसों से दूध उत्पादन में 16% की गिरावट देखी गई है, जबकि इनका दूध उत्पादन में कुल योगदान 45% है। वहीं, विदेशी और क्रॉसब्रीड मवेशियों से वित्त वर्ष 2023-24 में दूध उत्पादन में सालाना आधार पर 8% की वृद्धि और  देसी मवेशियों से भी दूध उत्पादन में 45% की बढ़ोतरी हुई है। बावजूद इसके, भैंसों से उत्पादन में आई कमी ने उद्योग में चिंता पैदा कर दी है।

भारत में दुनिया की सबसे ज़्यादा गाय-भैंसों की कुल आबादी 30.3 करोड़ है। 2019 की पशुधन जनगणना के अनुसार, भारत में मवेशियों की औसत सालाना दूध उत्पादकता 1,777 किलो प्रति पशु रही, जो वैश्विक औसत से काफी नीचे है। यह स्थिति देश में दूध उत्पादन की क्षमता पर प्रभाव डाल रही है। 

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देश में मवेशियों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो रही। वित्तीय वर्ष 2024 में विदेशी और क्रॉसब्रेड मवेशियों से औसतन हर रोज 8.12 किलो दूध उत्पादन हुआ, जबकि देशी और गैर-वर्णित मवेशियों से यह आंकड़ा केवल 4.01 किलो रहा।

विशेषज्ञों के अनुसार, देश में 'श्वेत क्रांति' के बाद से दूध उत्पादन में तेजी आई थी और अब तक हर 15 साल में इसका उत्पादन दोगुना हो गया है। अब दूध उत्पादन की धीमी वृध्दि के चलते आने वाले 5 सालों में उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नजर आ रहा है।

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