रोम का मिल रहा फर्जी वीजा!  5 साल में 5000 फर्जी वीजा बना कर बाहर भेजे लोग....

Edited By Anu Malhotra,Updated: 17 Sep, 2024 03:09 PM

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दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट की पुलिस ने एक बड़े फर्जी वीजा रैकेट का पर्दाफाश कर छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह के पास से बड़ी संख्या में नकली दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक, पिछले पांच सालों में इस गिरोह...

नेशनल डेस्क;   दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट की पुलिस ने एक बड़े फर्जी वीजा रैकेट का पर्दाफाश कर छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह के पास से बड़ी संख्या में नकली दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक, पिछले पांच सालों में इस गिरोह ने 5000 से अधिक फर्जी वीजा बनाकर करीब 300 करोड़ रुपए की कमाई की है। हर फर्जी वीजा को 8 से 10 लाख रुपए में बेचा जाता था।

कैसे हुआ खुलासा? यह मामला तब सामने आया जब दो सितंबर को हरियाणा के संदीप को एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया। वह फर्जी वीजा के सहारे रोम जा रहा था। पूछताछ के दौरान संदीप ने फर्जी वीजा देने वाले एजेंट की जानकारी दी, जिससे पता चला कि उसके गांव के कई लोग भी फर्जी वीजा के जरिए विदेश जा चुके हैं। जांच-पड़ताल में यह खुलासा हुआ कि फर्जी वीजा दिल्ली के तिलकनगर इलाके में बनाए जा रहे हैं।

पुलिस ने मारा छापा दिल्ली पुलिस ने तिलकनगर में छापा मारकर 16 नेपाली पासपोर्ट, दो भारतीय पासपोर्ट, लैपटॉप, स्कैनर, कलर प्रिंटर, कंप्यूटर और 30 फर्जी वीजा स्टीकर बरामद किए। इस मामले में पुलिस ने मनोज मोंगा, आसिफ अली, शिव गौतम, नवीन राणा, बलबीर सिंह और जसविंदर सिंह को गिरफ्तार किया है।

ग्राफिक डिजाइनिंग का दुरुपयोग पुलिस की जांच में पता चला कि इस गिरोह का सरगना मनोज मोंगा है, जो ग्राफिक डिजाइनिंग में डिप्लोमा धारक है। पांच साल पहले उसकी मुलाकात जयदीप सिंह नामक व्यक्ति से हुई, जिसने उसे ग्राफिक डिजाइनिंग के हुनर का इस्तेमाल फर्जी वीजा बनाने में करने के लिए प्रेरित किया। जयदीप ने मनोज को जरूरी उपकरण मुहैया कराए, जिससे वह नकली वीजा तैयार करता था।

संचार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल यह गिरोह संचार के लिए टेलीग्राम और वॉट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करता था। इसके अलावा, कई क्षेत्रों में इनके स्थानीय एजेंटों का नेटवर्क था, जो विदेश में नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। यह गिरोह विशेष रूप से उन लोगों को निशाना बनाता था, जो बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें कानूनी प्रक्रिया से वीजा प्राप्त करने में कठिनाई होती थी।

पुलिस की कार्रवाई जारी
दिल्ली पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े अन्य सदस्यों और एजेंटों की पहचान करने के प्रयास में जुटी है। पुलिस का मानना है कि इस नेटवर्क में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जो विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हैं।

इस मामले को लेकर पुलिस ने जनता को आगाह किया है कि वे वीजा संबंधित किसी भी जानकारी या सहायता के लिए अधिकृत एजेंसियों से ही संपर्क करें और फर्जी एजेंटों के झांसे में न आएं।

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