दिल्ली की हवा में जहर: इन इलाकों में सांस लेना हुआ मुश्किल, AQI में सुधार की उम्मीद नहीं!

Edited By Parminder Kaur,Updated: 21 Oct, 2024 10:14 AM

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दिल्ली में सर्दियों के मौसम में हवा की गुणवत्ता में गिरावट देखने को मिल रही है। रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) रात 11 बजे 300 के पार चला गया। इसका मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं मानी जा रही हैं। वायु प्रदूषण...

नेशनल डेस्क. दिल्ली में सर्दियों के मौसम में हवा की गुणवत्ता में गिरावट देखने को मिल रही है। रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) रात 11 बजे 300 के पार चला गया। इसका मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं मानी जा रही हैं। वायु प्रदूषण पर निगरानी रखने वाली प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) ने बताया है कि शांत हवाओं के कारण भी हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है।

दिल्ली की हवा में कितना प्रदूषण?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने रविवार को शाम 4 बजे दिल्ली का औसत AQI 277 (खराब) बताया। यह लगातार पांचवे दिन खराब वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। AQI शाम 7 बजे 289 और रात 11 बजे 303 तक पहुंच गया। EWS ने चेतावनी दी है कि प्रदूषण कम होने की संभावना नहीं है। यदि पराली जलाने की घटनाएं जारी रहीं, तो हवा की स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

सबसे खराब हवा वाले इलाके

सबसे खराब हवा वाले इलाकों में आनंद विहार 375, वजीरपुर 355, जहांगीरपुरी 359, मुंडका 328 और रोहिणी में AQI 325 का नाम शामिल है।

दिल्ली में प्रदूषण के कारण 

नासा के फायर इंफॉर्मेशन फॉर रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम के अनुसार, पिछले हफ्ते पंजाब और हरियाणा में औसतन 90 आग की घटनाएं हुईं। हालांकि, यह पिछले साल की तुलना में कम है, जब 600 से अधिक आग की घटनाएं दर्ज की गई थीं। आने वाले दिनों में आग की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है, जिससे AQI और भी खराब हो सकता है। अधिकारियों ने आग की घटनाओं को कम करने के लिए उपाय किए हैं।

बता दें पिछले साल पराली जलाने के मामलों की संख्या में कमी आई है। 2022 के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 25% की गिरावट आई है। पिछले साल यह संख्या 49,922 थी, जो इस साल घटकर 36,623 हो गई है। हालांकि, पराली जलाने वाले क्षेत्र में 27% की बढ़ोतरी हुई है। इस साल फसल की कटाई की प्रक्रिया पहले के मुकाबले धीमी चल रही है, जिसका मुख्य कारण बुवाई में देरी और सितंबर के अंत में हुई बारिश बताई जा रही है। इस गिरावट के बावजूद प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए अधिकारियों को अभी भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है, ताकि हवा की गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जा सके।

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