Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 10 Feb, 2025 07:21 PM
![delhi and manipur bjp will appoint two chief ministers](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_19_01_436029915bjp-ll.jpg)
8 फरवरी को दिल्ली में शानदार जीत के बाद बीजेपी को एक नई मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अब पार्टी को दिल्ली और मणिपुर दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री का नाम तय करना है। जबकि दिल्ली में मुख्यमंत्री के चयन की प्रक्रिया को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है,...
नेशनल डेस्क: 8 फरवरी को दिल्ली में शानदार जीत के बाद बीजेपी को एक नई मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अब पार्टी को दिल्ली और मणिपुर दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री का नाम तय करना है। जबकि दिल्ली में मुख्यमंत्री के चयन की प्रक्रिया को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है, मणिपुर में मुख्यमंत्री का चयन और भी पेचीदा हो गया है। दिल्ली में बीजेपी की जीत के बाद, पार्टी के आलाकमान को यह तय करना है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। इस रेस में कई नामों की चर्चा हो रही है। प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा, सतीश उपाध्याय, मोहन सिंह बिष्ट, विजेंद्र गुप्ता, आशीष सूद और पवन शर्मा जैसे नेताओं का नाम सामने आ रहा है। हालांकि, बीजेपी में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हमेशा चौंकाने वाली रही है, इसलिए यह संभव है कि किसी और को भी इस पद के लिए चुना जाए, जिनका नाम मीडिया में नहीं आया हो।
बीजेपी के आलाकमान का यह अंदाज हमेशा से देखा गया है कि वे किसी ऐसे चेहरे को चुनते हैं, जो मीडिया की सुर्खियों से दूर हो और अचानक से सबको चौंका दे। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री का नाम 14 फरवरी के बाद ही तय होने की संभावना है, जब प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस और अमेरिका से लौट आएंगे।
मणिपुर का मुख्यमंत्री चुनने में बीजेपी को होगी कठिनाई
दिल्ली में मुख्यमंत्री का नाम तय करने के बाद बीजेपी को मणिपुर के मुख्यमंत्री का नाम भी चुनना है, जो कि एक और बड़ा सिरदर्द बन चुका है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया, इसके बाद पार्टी को नया मुख्यमंत्री चुनने का काम और भी मुश्किल हो गया है। मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा जारी है। 3 मई 2023 से शुरू हुई इस हिंसा ने राज्य की स्थिति को बिगाड़ दिया है। विपक्ष लगातार मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग कर रहा था, लेकिन बीजेपी नेतृत्व ने उनकी कुर्सी को बनाए रखा। अब, एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद, बीजेपी को मणिपुर के लिए नए मुख्यमंत्री का चयन करना है।
कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती
मणिपुर का मुख्यमंत्री चुनने में बीजेपी को खासा ध्यान रखना होगा, क्योंकि वहां के दो प्रमुख समुदायों के बीच गहरे मतभेद हैं। अगर मुख्यमंत्री मैतेई समुदाय का होता है तो कुकी समुदाय नाराज हो सकता है और अगर कुकी समुदाय का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बनता है तो मैतेई समुदाय असंतुष्ट हो सकता है। ऐसे में, बीजेपी को एक ऐसा तीसरा नाम चुनने का दबाव होगा, जो इन दोनों समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखे। इस राजनीतिक संकट में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को बहुत सावधानी से कदम उठाने होंगे। मणिपुर की हिंसा के बीच कोई भी गलत निर्णय पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
बीजेपी के लिए दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री चुनना होगा चुनौतीपूर्ण
कुल मिलाकर, दिल्ली और मणिपुर में मुख्यमंत्री का चयन बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। दिल्ली में एक ऐसे चेहरे को चुनना होगा, जो पार्टी की लोकप्रियता को बढ़ाए, जबकि मणिपुर में बीजेपी को दोनों समुदायों के बीच संतुलन बनाने की जिम्मेदारी उठानी होगी। यह देखना होगा कि केंद्रीय नेतृत्व किस तरह से इन दोनों चुनौतियों का सामना करता है और कौन-कौन से नए नाम सामने आते हैं।