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Karan Singh Interview: देश के लिए अच्छा नहीं है राजनीतिक टकराव

Edited By Deepender Thakur,Updated: 25 Jan, 2025 11:53 AM

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Delhi Assembly Election 2025 : पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह ( Karan Singh)  से पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स के लिए अकु श्रीवास्तव, आशुतोष त्रिपाठी और मुकेश गुप्ता ने की विशेष बातचीत।  पेश हैं विशेष साक्षात्कार के मुख्य अंश...

Delhi Assembly Election 2025 : पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह ( Karan Singh)  से पंजाब केसरी / नवोदय टाइम्स के लिए अकु श्रीवास्तव, आशुतोष त्रिपाठी और मुकेश गुप्ता ने की विशेष बातचीत। 
पेश हैं विशेष साक्षात्कार के मुख्य अंश...

 

सवाल- आपने देश की राजनीति के आरंभ से लेकर देश के विकास और आज तक का अनुभव किया है। आजादी की लड़ाई और उसके बाद देश के निर्माण में आपके पिता, महाराज हरि सिंह साहब का योगदान अहम रहा है। क्या आपको लगता है कि उन्हें उनका उचित श्रेय नहीं मिला?

जबाव- जी हां, महाराज हरि सिंह साहब ने देश के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया, खासकर कश्मीर के भारत में विलय के निर्णय में। हालांकि, उनको जितना श्रेय मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिला। उनका योगदान ऐतिहासिक था और इस बात को नजरअंदाज किया गया। हमारे देश में विविधता का एक बहुत बड़ा स्वरूप है।

 

सवाल- पिछले 75 सालों में हमारे देश ने कई राजनीतिक और आर्थिक बदलाव देखे हैं। क्या आप मानते हैं कि हमारी राजनीति अब बहुत अधिक विभाजित हो गई है?

जबाव-  जी हां, राजनीति में अब विभाजन की भावना अधिक दिखाई देती है। पहले राजनीतिक दलों के बीच व्यक्तिगत झगड़े कम होते थे, लेकिन अब यह सामान्य हो गया है। हाल के वर्षों में एक तरह की राजनीतिक बयानबाजी और टकराव बढ़ गए हैं, जो देश के लिए शुभ नहीं है। यह देश को एकजुट रखने में समस्या उत्पन्न कर सकता है।

 

सवाल- आपको क्या लगता है पिछले 75 सालों में नफरत और संघर्ष खासकर कश्मीर के संदर्भ में?

जबाव-  देश में विविधता तो है, लेकिन यही विविधता कभी-कभी राजनीतिक कारणों से संघर्ष में बदल जाती है। कश्मीर, पंजाब और अन्य क्षेत्रों में जो समस्याएं सामने आईं, वो वास्तव में दर्दनाक थीं। कश्मीर में बहुत लोग शहीद हुए हैं और हमें उन बलिदानों को हमेशा याद रखना चाहिए। कश्मीर में जो समस्याएं चल रही हैं, उन पर न्याय की कमी स्पष्ट है और यह हमें दुख पहुंचाता है।

 

सवाल- आपके मुताबिक कश्मीर में जो विकास हो रहा है, जैसे नई सुरंगें और रेलवे ट्रैक बिछाए जा रहे हैं, क्या ये विकास सही दिशा में है?

जबाव- जी हां, कश्मीर में हो रहे विकास कार्यों को देखना सुखद है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जो सुरक्षा स्थिति रही है, उसने कश्मीर के विकास को प्रभावित किया। अब जो परिवर्तन हो रहे हैं, वो कश्मीर को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाएंगे। लेकिन आतंकवाद की समस्या को निचले स्तर पर जाकर पूरी तरह से समाप्त करने की बड़ी आवश्यकता है।

 

सवाल- क्या आपको लगता है कि भारतीय संविधान को कोई खतरा है, जैसा कि कुछ राजनेता दावा करते हैं?

जबाव-  मैं इसे नहीं मानता। भारतीय संविधान एक मजबूत दस्तावेज है, और उसे किसी से भी खतरा नहीं है। कुछ समय के लिए राजनीतिक स्तर पर बयानबाजी और विचारधाराओं में मतभेद हो सकता है, लेकिन इससे देश के मजबूत और सभी को अ​धिकार देने वाले हमारे संविधान को लेकर कोई गंभीर खतरा नहीं है।

 

सवाल- आपके द्वारा किए गए कामों में से कोई एक काम ऐसा, जो सबसे महत्वपूर्ण रहा और एक काम वह जो आप नहीं कर पाए?

जबाव- मैंने हमेशा देश की सेवा करने का काम किया है। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर शायद मुझे कुछ और ठोस कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन समय और परिस्थितियों ने हमेशा अपनी भूमिका निभाई।

 

सवाल- आपके बारे में यह खबर आई थी कि आप राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन वह हो नहीं सका। इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे?

जबाव-  मुझे लगता है कि कई कारक थे जिनकी वजह से यह संभव नहीं हो सका। वामपंथियों के दबाव की वजह से यह विचार आगे नहीं बढ़ सका। फिर भी, मैंने कभी भी राष्ट्रपति बनने की इच्छा नहीं रखी थी, मेरा उद्देश्य हमेशा देश की सेवा करना रहा है और आज भी मैं देश के लिए ही सोचता हूं और जो भी करता हूं, वह देश के लिए करता हूं। 

 

सवाल- साहित्य, राजनीति और संस्कृति के क्षेत्र में आपके योगदान को देखते हुए चर्चा होती है कि आपको भारत रत्न मिलना चाहिए?

मैंने कभी इस तरह के पुरस्कारों की कोई इच्छा नहीं रखी। मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यह है कि मैंने देश के लिए कुछ योगदान दिया और लोगों का प्यार और सम्मान प्राप्त किया। भारत रत्न या अन्य पुरस्कार मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते हैं, मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मैंने अपने कर्तव्यों का पालन किया है।

 

सवाल- राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से किसे आप ज्यादा सक्षम नेता मानते हैं?

जबाव-  राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों ही अपनी-अपनी जगह पर महत्व रखते हैं। उनकी राजनीतिक समझ और शैली में भिन्नताएं हैं, लेकिन यह कहना कि कौन ज्यादा सक्षम है, यह एक व्यक्तिगत विचार है। दोनों ही अपने-अपने दृष्टिकोण से काम कर रहे हैं।

 

सवाल- आपने राजनीति, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मार्गदर्शन के लिए देश को आप जैसे अनुभवी व्य​क्तियों की  हमेशा ही आवश्यकता होती है। आप इस विषय में क्या सोचते हैं?

जबाव-  मेरे लिए राजनीति एक साधन है, एक उद्देश्य नहीं। मैं जीवन में जो भी काम करता हूं, वह पूरी तरीके से निस्वार्थ भाव, परोपकार की भावना के साथ देश की सेवा के लिए करता हूं। अब मैं जीवन के इस मोड़ पर हूं जहां मैं समाज को सही दिशा में प्रेरित करने का काम करता हूं। 

 

सवाल-  सच्चाई, ईमानदारी और विकास की दिशा में करना चाहिए काम दिल्ली में जो केंद्र और राज्य के बीच टकराव हो रहे हैं, क्या आपको लगता है कि इस स्थिति को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाने चाहिए?

जबाव-  दिल्ली की सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव तो स्वाभाविक है जब दोनों अलग-अलग विचारधाराओं का पालन करते हैं। हालांकि, यह स्थिति सुधारने की आवश्यकता है। चूंकि दिल्ली देश की राजधानी है इसलिए यहां पर केंद्र का नियंत्रण उचित है। बात यदि पूर्ण राज्य बनाने की है तो कम से कम लुटियन जोन को छोड़कर बाकी दिल्ली के लिए सोचना चाहिए।

 

सवाल- दिल्ली की राजनीति में सुधार की जरूरत है?

जबाव- दिल्ली की राजनीति में कई बदलाव आ रहे हैं, और अब इसमें बहुत बड़ा टकराव देखा जा रहा है। राजनीति में सच्चाई, ईमानदारी और विकास की दिशा में काम करना आवश्यक है। टकराव से बचने के लिए पक्ष-विपक्ष को मिलकर समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए, ताकि विकास बा​धित न हो।

 

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