Edited By Parveen Kumar,Updated: 11 Nov, 2024 11:12 PM
भाजपा की गंदी राजनीति के चलते बेरोजगार हुए 10 हजार बस मार्शलों को आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार स्थाई तौर पर नियुक्त करने के लिए बड़ा फैसला लिया है।
नई दिल्ली : भाजपा की गंदी राजनीति के चलते बेरोजगार हुए 10 हजार बस मार्शलों को आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार स्थाई तौर पर नियुक्त करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों द्वारा एक प्रस्ताव भेजकर एलजी साहब से मार्शलों को स्थाई करने के लिए पॉलिसी बनाने की मांग की जाएगी। इस संबंध में सीएम आतिशी के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें सर्व सम्मति से बस मार्शलों को स्थाई तौर पर नियुक्त करने पर सहमति बनी।
बैठक में लिए गए फैसले के संबंध में शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के साथ प्रेस वार्ता कर सीएम आतिशी ने बताया कि बस मार्शलों की स्थायी नियुक्ति का मुद्दा सर्विसेज के तहत केंद्र सरकार के अधीन है, जबतक केंद्र सरकार पॉलिसी नहीं बनाती है तब तक दिल्ली सरकार दस हजार मार्शलों को बसों में तैनात करेगी। दिल्ली सरकार के फैसले से ग़रीब परिवारों के युवाओं को रोज़गार मिलेगा और बसों में महिलाएँ दोबारा सुरक्षित महसूस कर सकेंगी। एलजी साहब या केंद्र सरकार बस मार्शल के लिए जो भी पॉलिसी बनाये, चाहे उनकी बहाली हो या उन्हें पक्की नौकरी पर लगाया जाये उनकी सारी तनख्वाह दिल्ली सरकार देगी।
सीएम आतिशी ने कहा कि 2015 से जबसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, तब से दिल्ली की चुनी हुई सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। चाहे शहर में सीसीटीवी कैमरे लगवाना हो या बसों में मार्शलों की नियुक्ति हो। अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में दिल्ली सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम करती रही।
उन्होंने कहा कि, "जो महिलाएं दिल्ली में पढ़ाई करती है, काम करती है, पली बढ़ी है वो अच्छे से जानती है कि, डीटीसी बसों में उनके लिए सफ़र करना कितना मुश्किल होता है। किस तरह उनके साथ बदतमीजी होती है, अभद्र व्यवहार होता है। महिलाओं के साथ उस अभद्र व्यवहार को रोकने के लिए डीटीसी बसों में बस मार्शलों को तैनात किया गया। 2015 से डीटीसी बसों में 2 शिफ्टों में महिलाओं-बुजुर्गों-बच्चों की सुरक्षा को लेकर मार्शलों की नियुक्ति हुई। लेकिन 2023 से भाजपा ने अपने अफसरों के माध्यम से बस मार्शल की इस स्कीम में विघ्न डालने का काम किया। पहले अप्रैल 2023 से बस मार्शलों का वेतन रोक लिया गया और फिर अक्टूबर 2023 से सारे बस मार्शलों को नौकरी से हटा दिया।
सीएम आतिशी ने कहा कि, "पिछले 1 साल से बस मार्शलों ने सड़कों पर संघर्ष किया। आम आदमी पार्टी के विधायकों ने, "आप" सरकार के मंत्रियों ने सड़क पर उतरकर बस मार्शलों के संघर्ष में उनका साथ दिया। पुलिस की लाठियां खाई, गिरफ्तार हुए। आख़िरकार ये संघर्ष सफल हुआ और केंद्र सरकार को झुकना पड़ा। इसके बाद कुछ दिन पहले दिल्ली सरकार ने फ़ैसला लिया कि, आने वाले 4 महीने के लिए प्रदूषण के ख़िलाफ़ युद्ध में बस मार्शलों को तैनात किया जाएगा।
सीएम आतिशी ने कहा कि, "इसके बाद भी एक बहुत बड़ा मुद्दा दिल्लीवालों के सामने और दिल्ली सरकार के सामने है, वो महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। बस मार्शलों के बसों में न होने से महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रही है और बसों में दोबारा उनके साथ अभद्र व्यवहार होना शुरू हो गया है। बस मार्शल न होने से बुजुर्ग भी डीटीसी बसों में असुरक्षित महसूस कर रहे है।"
उन्होंने साझा किया कि, "इस संदर्भ में कल दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इस बैठक में मार्शलों की स्थायी नियुक्ति को लेकर स्कीम बनाने को लेकर लंबी चर्चा हुई। इस संदर्भ में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने अपने नोट में साझा किया कि, बस मार्शलों को स्थायी या अस्थायी रूप से नियुक्त करना सर्विसेज का मुद्दा है जो एलजी साहब के अंतर्गत आता है। साथ ही ये सुरक्षा का मुद्दा है ऐसे में ये भी पब्लिक ऑर्डर के अंतर्गत एलजी साहब के अंतर्गत आता है।"
सीएम आतिशी ने कहा कि, "दिल्ली सरकार के सभी मंत्री बस मार्शलों को स्थायी करने को लेकर एलजी साहब की प्रस्ताव भेजेंगे और हमारा एलजी साहब से अनुरोध है कि, बस मार्शलों की नियुक्ति और महिला सुरक्षा का मुद्दा उनके कार्यक्षेत्र में आता है। ऐसे में वो जल्द से जल्द मार्शलों को स्थायी तौर पर बसों में नियुक्त करने के लिए एक पॉलिसी बनाए ताकि 2 शिफ्टों के हर बस में उन्हें तैनात किया जा सके और महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सके।"
उन्होंने कहा कि, "साथ ही एक दूसरा फैसला भी लिया गया। जिसपर सभी मंत्रियों की साझा राय थी कि, हो सकता है कि एलजी साहब को ये पॉलिसी बनाने में समय लगे, 6 महीने लगे। लेकिन इस समय के दौरान दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है।"
सीएम आतिशी ने कहा कि, "ऐसे में हम एलजी साहब को प्रस्ताव भेजेंगे कि जो 10,000 बस मार्शल दिल्ली की बसों में 31 अक्टूबर 2023 तक ड्यूटी पर तैनात थे उन्हें तुरंत प्रभाव से बसों में मार्शल के रूप में तैनात किया जाए। और वो तबतक बसों में तैनात रहे जबतक उनकी स्थायी नियुक्ति नहीं होती है। ताकि दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा बनी रही।"
उन्होंने कहा कि, "मुझे उम्मीद है कि इस प्रस्ताव पर एलजी जल्द मोहर लगायेंगे ताकि दिल्ली की महिलायें-बच्चे-बुजुर्ग बसों में एक बार फिर सुरक्षित महसूस कर सफ़र कर सकें। दिल्ली सरकार प्रतिबद्ध है कि बस मार्शलों की वर्तमान में नियुक्ति हो या स्थायी होने के बाद जितने भी फण्ड की जरूरत होगी उसका सारा पैसा दिल्ली सरकार देगी।"
वहीं, मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा मेें सर्वसम्मिति से बस मार्शलों की बहाली का प्रस्ताव पास हुआ था कि 3 अक्टूबर को आम आदमी पार्टी और भाजपा के सभी विधायक एलजी साहब के पास जाएंगे। दिल्ली का पूरा मंत्रिमंडल एलजी साहब के पास जाएगा और जिस कागज पर हस्ताक्षर करना होगा, उस पर हस्ताक्षर कर देंगे। लेकिन भाजपा का एक भी विधायक वहां नहीं पहुंचा। शाम को पुलिस ने लाइट बंद कर दी, लाठीचार्ज किया और हम विधायकों और मंत्रियों को गिरफ्तार कर थाने में ले गई। यह 3 अक्टूबर की बात है। 5 अक्टूबर को विजेंद्र गुप्ता ने समय मांगा। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने समय दिया। सारा मंत्रिमंडल मौजूद था। बस मार्शलों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। हमारे पास एक-एक मिनट की वीडियो रिकॉर्डिंग है। अगर विजेंद्र गुप्ता, भाजपा या एलजी साहब कहेंगे तो हम वो वीडियो पब्लिश करने के लिए तैयार हैं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आखिर में विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अगर हम इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल से पास कर देंगे तो वो खुद एलजी साहब से हस्ताक्षर कराएंगे। इसका भी हमारे पास वीडियो रिकॉर्डिंग है। मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव पास कर दिया। जिसके बाद विजेंद्र गुप्ता को हम बड़ी मुश्किल से एलजी साहब तक पहुंचा पाए। बीच में उन्होंने कई बार भागने की कोशिश की। उसके बावजूद मीडिया और बस मार्शलों के दवाब के चलते वो एलजी हाउस तक गए। उनके साथ मुख्यमंत्री आतिशी कार में गईं। वहां पर विजेंद्र गुप्ता और एलजी साहब ने दस हजार सात सौ बस मार्शलों को धोखा दिया। उन्होंने उस प्रस्ताव पर साइन नहीं किए। जब विजेंद्र गुप्ता एलजी हाउस से बाहर निकले तो उन्होंने मीडिया में कहा कि दिल्ली की सरकार का प्रस्ताव एलजी साहब ने मंजूर कर लिया है और एक हफ्ते के अंदर बस मार्शलों की बहाली हो जाएगी। यह सबके पास ऑन रिकॉर्ड है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 5 अक्टूबर से 5 नवंबर हो गए हैं और वो प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ है। उल्टा एलजी साहब ने एक और यू टर्न मारा और उन्होंने बोला कि मंत्रिमंडल उन्हें दोबारा प्रस्ताव भेजे। जिसके बाद दोबारा प्रस्ताव के ऊपर चर्चा हुई। एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, जो ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के हेड हैं, उन्होंने नोटिंग में वही बात लिखी कि यह मामला सीधा-सीधा सर्विसेज और पब्लिक ऑर्डर का है। यानि कि यह सीधा-सीधा रिजवर्ड सब्जेक्ट है और एलजी साहब के आधीन है।
यह हमने नहीं लिखा बल्कि उनके द्वारा लगाए हुए अफसर ने लिखा है। तो हमने उस प्रस्ताव के ऊपर अपने मंत्रियों की मीटिंग करके यह प्रस्ताव बनाया है कि ये लोग पॉलिसी बनाते रहे। जिस तरह से इनका रवैया है, ये कई महीने, कई साल लगाएंगे। मुझे जानकारी है कि एलजी साहब के काम करने का तरीका क्या है। इस पॉलिसी को बनाने में वो कई साल लगाएंगे और इस वक्त ये गरीब बस मार्शल बर्बाद हो जाएंगे। उनके घर में आज खाने के लिए पैसे नहीं हैं। उनके पास किराया भरने के लिए पैसे नहीं हैं। उनके ऊपर दो-दो लाख रुपए के कर्ज हो रखे हैं। कई लोगों की जान जा चुकी है।
सौरभ भारद्वाज ने आगे कि हमने इनसे कहा कि आप ये पॉलिसी का गाना गाते रहना, आप स्कीम बनाते रहना, जब बन जाए हमें बता देना। लेकिन तब तक इन बस बार्शलों को बेवकूफ बनाने की जरूरत नहीं है। जिस तरीके से बसों में ये पहले काम कर रहे थे, उसी स्थिति में 'जैसा है जहां है' के आधार पर इनको दोबारा काम पर लगा लो। इसमें किंतु परंतु मत करो। इन्हें जो पॉलिसी बनानी है, जो स्कीम बनानी है, जो करना है, अफसर सब इनके पास ही हैं। ये सब्जेक्ट रिजवर्ड सब्जेक्ट है, ये बनाते रहें। लेकिन इन बार्शलों को तुरंत बहाल करो। ये हमारी भी मांग है और यही बस मार्शलों की भी मांग है। बस मार्शलों से भी मैंने चर्चा की है। उन्होंने भी यही कहा है कि ये जो पर्मानेंट करने की बहानेबाजी है, इसमें ये पर्मानेंटली बाहर कर देंगे।
उनका कहना है कि फिलहाल हमें वापस लीजिए। यही मैं एलजी साहब से कह रहा हूं कि अब आप इसे और मत घुमाइए। आप इस बात को कई महीनों से घुमा रहे हैं। अब आप बस मार्शलों को तुरंत बहाल कीजिए। ताकि इन बस मार्शलों के घर पर दोबारा चूल्हा जल सके। इसके ऊपर राजनीति मत कीजिए। ये लोग बहुत गरीब हैं, इन चीजों पर राजनीति अच्छी नहीं लगती है। एलजी साहब तो अपने बड़े महल के अंदर रहते हैं, इनके पास सब सुख सुविधाएं हैं। कोई कमी नहीं है। ये बेचारे बहुत गरीब हैं और ये दिल्ली के लोग हैं। ये हमारे गरीब भाई-बहन हैं। इनकी तुरंत बहाली कीजिए।