mahakumb

चिराग पासवान को दिल्ली HC से भी झटका, नहीं रुकेगा सरकारी बंगला खाली करने का काम

Edited By Anil dev,Updated: 31 Mar, 2022 05:45 PM

delhi high court lok sabha chirag paswan justice yashwant verma

दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के मामले में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के मामले में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने चिराग की मां रीना पासवान की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह इस स्तर पर उस प्रक्रिया को नहीं रोकेंगे, जो पहले ही शुरू हो चुकी है और संबंधित परिसर पासवान की ‘पार्टी का मुख्यालय नहीं' है। याचिकाकर्ता के वकील ने ‘व्यावहारिक कठिनाइयों' का हवाला देते हुए अदालत से राष्ट्रीय राजधानी के बीचों-बीच जनपथ स्थित बंगले को खाली करने के लिए चार महीने का समय मांगा। उन्होंने अदालत को बताया कि मौजूदा समय में वहां सैकड़ों लोग रह रहे हैं और उनके पास राष्ट्रीय राजधानी में कोई और ठिकाना नहीं है।

 याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी दलील दी कि बंगले में दिवंगत राम विलास पासवान की याद में एक संग्रहालय बनाया गया है और वहां कई कलाकृतियां भी मौजूद हैं। इस पर न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, “यह आपका पार्टी मुख्यालय नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 2020 में शुरू हुई थी और संबंधित पक्षों को नोटिस भी जारी किए गए थे। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “बाहर निकलिए सर। प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अन्य लोग भी इंतजार कर रहे हैं।” अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि बंगला खाली कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और वहां रह रहे लोगों को इसका नोटिस 2020 में ही दे दिया गया था। उन्होंने कहा, “प्रक्रिया शुरू हो गई है। बहुत कम घरेलू सामान बचा है। पांच ट्रक निकल चुके हैं।” शर्मा ने कहा कि अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के निधन के साथ ही बंगले के आवंटन की अवधि समाप्त हो गई थी। 

केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा सांसद से जनपथ स्थित बंगला खाली करवाने के लिए एक टीम भेजी थी, जिसे केंद्रीय मंत्रियों को आवंटित किया जाना है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद यह बंगला लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का आधिकारिक पता बन गया है, जो चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच मतभेद के चलते दो गुटों में बंट गई है। इस बंगले का इस्तेमाल नियमित रूप से पार्टी की संगठनात्मक बैठकों और अन्य संबंधित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए किया जा रहा था।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!