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दिल्ली के दिल में प्रदूषण से बचने का अनोखा ठिकाना: 15,000 पौधों के साथ घर बन गया स्वच्छ हवा का गढ़

Edited By Mahima,Updated: 29 Nov, 2024 10:24 AM

delhi house with 15 000 plants becomes a bastion of clean air

दिल्ली के सैनिक फार्म में स्थित पीटर सिंह और नीनो कौर का घर 15,000 पौधों, सौर ऊर्जा, और जल संरक्षण तकनीकों के जरिए 10-15 का बेहद कम AQI बनाए रखता है। पारंपरिक निर्माण विधियों, जैविक खेती, और पराली से खाद बनाने की अनूठी तकनीक से यह घर प्रदूषण से...

नेशनल डेस्क: दिल्ली, जो अपने गंभीर प्रदूषण और धुंध के लिए जानी जाती है, वहां एक ऐसा घर मौजूद है, जो न केवल खुद को प्रदूषण से बचाए रखता है, बल्कि 15,000 पौधों और आत्मनिर्भर तकनीकों के जरिए 10-15 का अद्भुत AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) बनाए रखता है। यह घर दिल्ली के सैनिक फार्म इलाके में स्थित है, जहां पीटर सिंह और नीनो कौर ने अपने घर को एक पर्यावरणीय स्वर्ग में बदल दिया है।  

पारंपरिक निर्माण और प्राकृतिक उपायों का मिश्रण
यह घर पारंपरिक निर्माण विधियों का पालन करता है, जिसमें ईंटों को सीमेंट के बजाय चूने के मोर्टार से जोड़ा गया है। इसके अलावा, घर की दीवारों पर आधुनिक पेंट की जगह चूने का उपयोग किया गया है, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि घर के अंदर के तापमान को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। छत भी कंक्रीट स्लैब के बजाय पत्थर की टाइलों से ढकी हुई है, जिससे गर्मी में घर ठंडा रहता है।  

15,000 पौधों से स्वच्छ हवा
इस घर में लगाए गए 15,000 पौधे हवा की गुणवत्ता को बनाए रखते हैं। इन पौधों की मदद से घर का AQI 10-15 के बीच रहता है, जो दिल्ली के प्रदूषण स्तर के मुकाबले बेहद कम है। हर एक पौधा घर के अंदर स्वच्छ हवा प्रदान करने में योगदान देता है।  

आत्मनिर्भर ऊर्जा और जल प्रबंधन
यह घर पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होता है, यानी ये घर बाहरी बिजली आपूर्ति पर निर्भर नहीं है। सौर पैनलों के जरिए यह घर अपने सारे ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है। जल संरक्षण के मामले में भी यह घर पूरी तरह से आत्मनिर्भर है। यहां वर्षा जल को एकत्र करने के लिए 15,000 लीटर के टैंक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे घर में पौधों की सिंचाई की जाती है। पानी का पुन: उपयोग भी किया जाता है, ताकि कोई भी बूंद व्यर्थ न जाए।  

खुद का भोजन उगाने की क्षमता
दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में यह घर न केवल हवा में सुधार करता है, बल्कि यहां के निवासी अपना भोजन भी खुद उगाते हैं। पीटर और नीनो अपने घर में जैविक तरीके से सब्जियां उगाते हैं, जिससे उन्हें बाजार से सब्जियां खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। वे साल भर जैविक और सतत (सस्टेनेबल) खेती के तरीके अपनाते हैं।  

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पराली से खाद बनाने का अनोखा तरीका
दिल्ली में पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर और बढ़ता है, लेकिन पीटर और नीनो ने पराली को एक संसाधन के रूप में उपयोग करने का तरीका खोज निकाला है। वे पराली को जैविक खाद के साथ मिलाकर घर में मशरूम उगाने के लिए खाद तैयार करते हैं, जिससे ना केवल पराली का सही उपयोग होता है, बल्कि यह घर के भोजन के उत्पादन में भी मदद करता है।  

स्वस्थ जीवनशैली के लिए एक संघर्ष
इस अनोखे घर का निर्माण पीटर और नीनो के व्यक्तिगत संघर्ष से प्रेरित है। नीनो को रक्त कैंसर का पता चला था और कीमोथेरेपी के बाद उनके फेफड़े दिल्ली की प्रदूषित हवा से निपटने में संघर्ष कर रहे थे। एक डॉक्टर ने उन्हें दिल्ली छोड़ने की सलाह दी थी, लेकिन एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ ने उन्हें जैविक जीवनशैली अपनाने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने गोवा में कुछ समय बिताया और फिर दिल्ली लौटकर अपने घर को एक स्वास्थ्यपूर्ण और आत्मनिर्भर स्थान में बदलने का संकल्प लिया।  
 
आज, यह घर हरित जीवनशैली का एक बेहतरीन उदाहरण बन चुका है, जो प्राचीन तकनीकों और आधुनिक पर्यावरणीय उपायों का संयोजन है। यह घर दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में एक नखलिस्तान के रूप में खड़ा है, जहां स्वच्छ हवा, सौर ऊर्जा, जल संरक्षण और जैविक खेती के जरिए एक स्वस्थ और आत्मनिर्भर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है।

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