Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Feb, 2025 01:54 PM
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दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को कैग (Comptroller and Auditor General) की दो महत्वपूर्ण रिपोर्टें सदन के पटल पर पेश की गईं। पहली रिपोर्ट दिल्ली शराब घोटाले से जुड़ी थी, जबकि दूसरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री आवास (शीशमहल) के नवीनीकरण में...
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को कैग (Comptroller and Auditor General) की दो महत्वपूर्ण रिपोर्टें सदन के पटल पर पेश की गईं। पहली रिपोर्ट दिल्ली शराब घोटाले से जुड़ी थी, जबकि दूसरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री आवास (शीशमहल) के नवीनीकरण में अनियमितताओं को लेकर थी। इन रिपोर्ट्स को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विधानसभा में पेश किया।
शराब घोटाले की रिपोर्ट
कैग की शराब घोटाले पर रिपोर्ट 2017-18 से लेकर 2020-21 तक की अवधि की है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि दिल्ली सरकार की शराब पॉलिसी में बदलाव के कारण 2,002 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। कैग ने 2017-18 से 2021-22 तक शराब के रेगुलेशन और सप्लाई की जांच की और 2021-22 की आबकारी नीति की समीक्षा की, जो सितंबर 2022 में वापस ले ली गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (AAP) ने शराब नीति लागू करते समय कई अनियमितताएं बरतीं, जिनके कारण सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
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कैग की रिपोर्ट में बताए गए प्रमुख नुकसान
- नई शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को लगभग 2,002 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- नॉन-कंफर्मिंग क्षेत्रों में लाइसेंस जारी करने से 940 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- रिटेंडर प्रक्रिया में 890 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- कोविड-19 के प्रतिबंधों के दौरान शराब कारोबारियों को लाइसेंस शुल्क में 144 करोड़ रुपए की छूट दी गई।
- सिक्योरिटी डिपॉजिट सही से इकट्ठा नहीं करने से 27 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- कुछ खुदरा विक्रेताओं ने शराब नीति खत्म होने के बावजूद लाइसेंस का इस्तेमाल किया।
लाइसेंस उल्लंघन और अन्य अनियमितताएं
- दिल्ली एक्साइज नियम 2010 के नियम 35 को सही से लागू नहीं किया गया।
- मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल में रुचि रखने वाले कारोबारियों को व्होलसेल लाइसेंस जारी किए गए, जिससे पूरी शराब सप्लाई चेन में एकतरफा लाभ हुआ। इस वजह से व्होलसेल मार्जिन 5% से बढ़कर 12% हो गया।
- शराब जोन चलाने के लिए 100 करोड़ रुपए की आवश्यकता थी, लेकिन सरकार ने इसकी जांच नहीं की।
- कैग ने यह भी बताया कि दिल्ली कैबिनेट ने फरवरी 2010 में शराब की तस्करी रोकने के लिए हर बोतल पर बारकोडिंग करने का निर्णय लिया था। इसके तहत टीसीएस को हर बोतल के लिए 15 पैसे मिलने थे। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, 482.62 करोड़ बोतलों को बारकोड के साथ बेचा गया दिखाया गया, जबकि केवल 346.09 करोड़ बोतलों को ही स्कैन किया गया था, यानी 136.53 करोड़ बोतलें बिना स्कैन किए बेची गईं।
नई शराब नीति
- 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति 2021-22 लागू की थी, जिसके तहत दिल्ली की सभी शराब की दुकानें निजी कर दी गई थीं।
- कैग की रिपोर्ट में इन सभी अनियमितताओं का विस्तृत उल्लेख किया गया है, जिनसे दिल्ली सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है।
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मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण में अनियमितताएं:
- दूसरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री आवास (शीशमहल) के नवीनीकरण में अनियमितताओं से संबंधित थी, लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई।