mahakumb

Delhi New CM: फाइनल हो गया किस जाति से होगा दिल्ली का मुख्यमंत्री!

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 16 Feb, 2025 03:54 PM

delhi new cm finalised which caste will be the chief minister of delhi

दिल्ली में भाजपा की मुख्यमंत्री की दौड़ में किस जाति से नेता चुने जाएंगे, इस पर सवाल उठने लगे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए 8 दिन हो गए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री का नाम अभी तक तय नहीं हो पाया है। भाजपा के अंदर अब यह चर्चा तेज हो गई है कि...

नेशनल डेस्क: दिल्ली में भाजपा की मुख्यमंत्री की दौड़ में किस जाति से नेता चुने जाएंगे, इस पर सवाल उठने लगे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए 8 दिन हो गए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री का नाम अभी तक तय नहीं हो पाया है। भाजपा के अंदर अब यह चर्चा तेज हो गई है कि मुख्यमंत्री पद के लिए जाट या दलित समुदाय के किसी नेता को मौका दिया जाए। इसका कारण न केवल दिल्ली के अंदर जातिवादीय समीकरण हैं, बल्कि यह निर्णय आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से भी जुड़ा हुआ है, जो इस साल के अंत में होने वाले हैं। भाजपा को उम्मीद है कि जाट और दलित समुदाय के नेताओं से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पार्टी को चुनावी लाभ दिला सकता है।

जाट और दलित समुदाय की महत्वता

दिल्ली में भाजपा ने जाट बहुल इलाकों में से करीब 90% सीटें जीतीं। यह किसी भी पार्टी के लिए एक बड़ी सफलता मानी जाती है। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा जाट समुदाय को मुख्यमंत्री पद पर आसीन करेगी, जो अब तक सही तरीके से पार्टी से सम्मानित नहीं हुआ। दिल्ली में भाजपा के 48 विधायक हैं, जिनमें से 11 जाट समुदाय से आते हैं। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा के रणनीतिक फैसलों ने जाट समुदाय का समर्थन प्राप्त किया है।

वहीं, दलित समुदाय के लिए भी मजबूत तर्क दिए जा रहे हैं। पिछले दशक में भाजपा ने दिल्ली में अनुसूचित जाति (SC) के क्षेत्र से 4 में से 12 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की। दलित समुदाय ने आम आदमी पार्टी से भाजपा की ओर अपना रुख मोड़ा है, खासकर बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विवाद के बाद। इस संदर्भ में, दलितों के बीच भाजपा का रुझान बढ़ा है, और यह समुदाय भी मुख्यमंत्री पद के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरा है।

क्यों जाट और दलित का दावा मजबूत?

भाजपा के अन्य शासित राज्यों में वर्तमान में कोई मुख्यमंत्री जाट या दलित समुदाय से नहीं हैं। राज्य के अधिकांश मुख्यमंत्री ओबीसी (OBC), ठाकुर, ब्राह्मण और आदिवासी समुदाय से हैं। जैसे मध्य प्रदेश के मोहन यादव, हरियाणा के नायब सैनी, गुजरात के भूपेंद्र पटेल, गोवा के प्रमोद सावंत और उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ ओबीसी और ठाकुर वर्ग से हैं। वहीं, महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस और राजस्थान के भजनलाल शर्मा जैसे ब्राह्मण मुख्यमंत्री भी राज्य का नेतृत्व कर रहे हैं। भाजपा दिल्ली में एक संतुलन बनाने की कोशिश कर सकती है, और जाट या दलित समुदाय के बीच से किसी एक को मुख्यमंत्री के रूप में चुन सकती है।

दिल्ली में भाजपा की रणनीति और जीत

दिल्ली में भाजपा की जीत के पीछे कई रणनीतिक फैसले थे, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण था पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा को दिल्ली की नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव में उतारना। इसके साथ ही पार्टी ने चुनाव से पहले AAP के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत को अपनी पार्टी में शामिल किया। इसके अलावा, भाजपा के नेताओं ने शाह के गांवों के नेताओं से बैठकें सुनिश्चित की, जिससे पार्टी को जीत हासिल हुई। इन फैसलों ने भाजपा के लिए चुनावी रास्ता आसान किया और जाट समुदाय का समर्थन प्राप्त किया।

मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार

दिल्ली में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के लिए पांच प्रमुख उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं। ये नाम राजनीति के अनुभव, रणनीतिक महत्व और जाट-दलित समुदाय के बीच कनेक्शन के कारण उभरे हैं। इन दावेदारों में प्रमुख नाम हैं—

  1. प्रवेश वर्मा - पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे, जाट समुदाय से।
  2. रेखा गुप्ता - दिल्ली भाजपा की महत्वपूर्ण नेता और संगठन की प्रमुख सदस्य।
  3. आशीष सूद - दिल्ली भाजपा के उभरते नेता, जिनका जाट और दलित समुदायों में अच्छा नेटवर्क है।
  4. सतिश उपाध्याय - दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेता, जो कई चुनावों में सक्रिय रहे हैं।
  5. शिखा रॉय - एक और महिला नेता, जिनकी राजनीतिक पकड़ जाट और दलितों में मजबूत मानी जाती है।

इन नेताओं के नाम अब भाजपा की सर्कल में चर्चा का विषय बन चुके हैं, और भाजपा जल्द ही इन नामों पर निर्णय लेने के लिए दो केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करने की योजना बना रही है।

शपथ ग्रहण की तारीख

भले ही भाजपा के विधायकों के बीच इस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर माथापच्ची चल रही हो, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, शपथ ग्रहण समारोह 19 या 20 फरवरी के आसपास आयोजित हो सकता है। यह सिर्फ दिल्ली की राजनीति पर ही नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों और जातिवादी समीकरणों पर भी प्रभाव डालने वाला है।

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!