Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 15 Feb, 2025 04:51 PM
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद अब सवाल यह है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? भाजपा के विजय के बाद, कई नामों पर चर्चा हो रही है और इन नामों में एक बड़ा नाम नुपूर शर्मा का भी सामने आया है। नुपूर शर्मा, जिन्हें भाजपा ने निलंबित कर...
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद अब सवाल यह है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? भाजपा के विजय के बाद, कई नामों पर चर्चा हो रही है और इन नामों में एक बड़ा नाम नुपूर शर्मा का भी सामने आया है। नुपूर शर्मा, जिन्हें भाजपा ने निलंबित कर दिया था, क्या बिना चुनाव लड़े दिल्ली की मुख्यमंत्री बन सकती हैं? चलिए जानते हैं कि संविधान इस पर क्या कहता है और इस पर क्या शर्तें लागू होती हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के अनुसार, यदि किसी राज्य में किसी पार्टी के पास बहुमत है और पार्टी उस राज्य के मुख्यमंत्री के लिए किसी नाम का प्रस्ताव करती है, तो राज्यपाल उस व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं, चाहे उस व्यक्ति ने चुनाव लड़ा हो या न लड़ा हो। इसका मतलब यह है कि नुपूर शर्मा जैसे व्यक्तियों को भी मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिल सकता है, भले ही उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाग नहीं लिया हो।
शर्तें जो लागू होती हैं
हालांकि, बिना चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बनने के लिए कुछ खास शर्तें होती हैं, जिन्हें पूरा करना जरूरी होता है। अगर कोई व्यक्ति बिना चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बनता है तो उसे 6 महीने के अंदर विधानसभा की किसी सीट से उपचुनाव जीतना होता है। इसके अलावा, वह व्यक्ति राज्य विधान परिषद का सदस्य भी बन सकता है।
बिना चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बनने वाले कुछ प्रमुख नेता
भारत में कई ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने चुनाव नहीं लड़ा या हारने के बावजूद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इनमें सबसे प्रसिद्ध नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया। उस समय वे गोरखपुर से सांसद थे और सांसद पद से इस्तीफा देकर उन्होंने विधान परिषद का सदस्य बनकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसी तरह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी मुख्यमंत्री पद संभाला और उपचुनाव में जीत दर्ज की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी विधान परिषद के सदस्य हैं।
क्या नुपूर शर्मा के लिए भी ये रास्ता खुलेगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या नुपूर शर्मा को भी ऐसी ही कोई सुविधा मिल सकती है? यदि भाजपा पार्टी दिल्ली में बहुमत हासिल करती है और नुपूर शर्मा को मुख्यमंत्री के लिए प्रस्तावित किया जाता है तो उन्हें शपथ दिलाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए उन्हें एक सीट से उपचुनाव जीतना होगा और संभवतः विधान परिषद में भी अपनी जगह बनानी होगी।