Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 17 Feb, 2025 11:40 AM
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दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाने की स्थिति में आ गई है। हालांकि, चुनाव नतीजे आए आठ दिन से अधिक हो गए हैं, लेकिन बीजेपी अब तक अपना मुख्यमंत्री (सीएम) चेहरा घोषित नहीं कर पाई है। पार्टी के भीतर कई बिंदुओं पर...
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाने की स्थिति में आ गई है। हालांकि, चुनाव नतीजे आए आठ दिन से अधिक हो गए हैं, लेकिन बीजेपी अब तक अपना मुख्यमंत्री (सीएम) चेहरा घोषित नहीं कर पाई है। पार्टी के भीतर कई बिंदुओं पर विचार हो रहे हैं, जिनमें सबसे अहम है जाति संतुलन, जो इस बार बीजेपी के सीएम के चेहरे के चयन में अहम भूमिका निभा सकता है। बीजेपी में सीएम के चेहरे का चयन एक जटिल प्रक्रिया है। सूत्रों के मुताबिक आरएसएस की भूमिका इस प्रक्रिया में एक तरह से सलाहकार (एडवाइजरी) की होगी। आरएसएस, पार्टी को विभिन्न बिंदुओं पर सलाह देगा, जिसमें यह भी देखा जाएगा कि बीजेपी को किस जाति या समुदाय से ज्यादा वोट मिले हैं। बीजेपी और आरएसएस के बीच इस मुद्दे पर कई बैठकें होने वाली हैं, जहां सीएम के अलावा डिप्टी सीएम, स्पीकर और कैबिनेट के सदस्य भी तय किए जाएंगे। यह सब कुछ पार्टी के जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए होगा।
जातीय समीकरण पर जोर
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, पार्टी को दिल्ली में ब्राह्मणों के वोट का समर्थन मिला है, और इसलिए पार्टी ब्राह्मण समुदाय से किसी नेता को महत्वपूर्ण पद दे सकती है। वहीं जाट और पंजाबी समुदाय से भी बीजेपी को वोट मिले हैं, जिससे इन समुदायों के नेताओं को भी बड़ी जिम्मेदारियां मिल सकती हैं। इस तरह की जातीय समीकरण की वजह से दिल्ली में जाट नेता को सीएम बनाने पर विचार हो सकता है।
बीजेपी के दावेदार
दिल्ली में बीजेपी के लिए कई नेताओं के नाम सीएम की दौड़ में हैं। इनमें प्रमुख नाम प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता, पवन शर्मा, अरविंदर सिंह लवली, राज कुमार चौहान, रेखा गुप्ता, शिखा रॉय, अजय महावर, जितेंद्र महाजन और सतीश उपाध्याय का है। इनमें से प्रवेश वर्मा ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी मजबूत की है, क्योंकि उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास कराया है।
बीजेपी की अगली योजना
उम्मीद बीजेपी अब सीएम के चेहरे के चयन के लिए आरएसएस की सलाह लेगी और जाति संतुलन को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय करेगी। यह फैसला आगामी कुछ दिनों में लिया जा सकता है। पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी समुदाय को नजरअंदाज न किया जाए और हर जाति का प्रतिनिधित्व उचित तरीके से हो।