दिल्लीः 31 जनवरी तक लोगों के लिए लाल किला बंद, जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन पर भी एंट्री बैन

Edited By Seema Sharma,Updated: 28 Jan, 2021 11:03 AM

delhi red fort will remain closed for people till 31 january

ट्रैक्टर मार्च पर किसानों ने लाल किले को काफी नुकसान पहुंचाया है जिसके बाद आम लोगों के लिए लाल किले को 31 जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है। इसके अलावा दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों ने लाल किले पर भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच लाल किला मेट्रो...

नेशनल डेस्क: ट्रैक्टर मार्च पर किसानों ने लाल किले को काफी नुकसान पहुंचाया है जिसके बाद आम लोगों के लिए लाल किले को 31 जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है। इसके अलावा दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों ने लाल किले पर भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच लाल किला मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया है जबकि जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन से भी एंट्री-एग्जिट गेट बंद कर दिए गए हैं। बता दें कि मंगलवार को किसानों ने दिल्ली में उत्पात मचाते हुए देश की ऐतिहासिक धरोहर लाल किले में भी तोडफोड़ की।

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किले के अंदर बिखरे शीशे के टुकड़े, टूटा फर्नीचर कहानी बयां कर रहे हैं कि प्रदर्शनकारियों ने उसे कितना आहत किया है। राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के एक दिन बाद बुधवार से ही लाल किला मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया गया था। मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के हिंसक होते ही लाल किला, आईटीओ, जामा मस्जिद, दिल्ली गेट, इंद्रप्रस्थ सहित मध्य, उत्तर एवं पश्चिम दिल्ली के कई मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया था।

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ट्रैक्टर रैली के नाम पर हिंसा
दिल्ली पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली निकलने को लेकर किसानों संगठनों ने नियम शर्तों का उल्लंघन किया जिसके कारण हिंसा हुई इसलिए इस हिंसा में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस आयुक्त ने कहा कि मंगलवार को राजधानी के विभिन्न इलाकों में किसानों के द्वारा की गई हिंसा में 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जिनमें से कुछ का अस्पताल में इलाज चल रहा है और कुछ पुलिसकर्मी ICU में भी भर्ती हैं।

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पुलिस ने अब तक 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। उन्होंने कहा किसान संगठनों को गणतंत्र दिवस के दिन रैली को टालने के लिए निरंतर समझाया गया और इसके लिए उनके साथ पांच दौर की बातचीत भी की गई। रैली के लिए कुछ नियम और शर्तों पर सहमति और लिखित आश्वासन देने बाद अनुमति दी गई लेकिन किसान संगठनों ने अपने वायदे को पूरा नहीं किया। यहां तक की कुछ किसान नेताओं शांति बनाकर रैली निकलने की बजाए भड़काऊ भाषण दिए और हिंसा के लिए उकसाया।

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