दिल्ली यूनिवर्सिटी के 'पिंकी अंकल' सुनील सेठी का निधन, कैंपस में थमी हलचल

Edited By Mahima,Updated: 21 Nov, 2024 12:00 PM

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दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के प्रसिद्ध भेलपूरी विक्रेता, सुनील सेठी (पिंकी अंकल) का 17 नवंबर को निधन हो गया। पिछले 40 वर्षों से छात्र-शिक्षकों के बीच उनके स्वादिष्ट भेलपूरी और मजाकिया अंदाज के लिए वह लोकप्रिय थे। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो...

नेशनल डेस्क: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के नॉर्थ कैंपस के लॉ सेंटर के पास स्थित भेलपूरी का प्रसिद्ध ठेला लगाने वाले सुनील सेठी, जिन्हें स्टूडेंट्स 'पिंकी अंकल' के नाम से जानते थे, 17 नवंबर को दुनिया को अलविदा कह गए। उनका निधन डीयू के हजारों छात्रों, शिक्षकों, और कैंपस के अन्य लोगों के लिए एक बड़ी क्षति है। पिछले 40 सालों से अपनी भेलपूरी के ठेले से दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के दिलों में जगह बनाने वाले सुनील सेठी का स्वाद तो प्रसिद्ध था ही, उनके मजाकिया अंदाज और संवाद शैली भी स्टूडेंट्स के बीच खास पहचान रखती थी।  

"पिंकी अंकल" का ठेला 
सुनील सेठी हर दिन शाम 1 बजे से लेकर 7:30 बजे तक नॉर्थ कैंपस के पुराने लॉ सेंटर के पास अपने ठेले पर बैठते थे। सफेद शर्ट पहने, हाथों में स्वादिष्ट भेलपूरी बनाते, वह छात्रों के बीच एक जानी-पहचानी शख्सियत बन गए थे। उनका ठेला एक सुसंगठित और ताजगी से भरपूर माहौल का हिस्सा बन चुका था। 60 रुपये की भेलपूरी की प्लेट में वो इतनी चटपटी ताजगी भर देते थे कि हर कोई बार-बार वहीं लौटता था। न केवल छात्र बल्कि डीयू के शिक्षक, कर्मचारी और यहां तक कि बाहर से आने वाले लोग भी उनकी भेलपूरी का स्वाद लेने के लिए खासतौर पर आते थे।  

मजाकिया अंदाज, दिलों को छूने वाली बातें 
सुनील सेठी की पहचान सिर्फ उनके स्वादिष्ट भेलपूरी से नहीं थी, बल्कि उनकी मजाकिया बातें और हाजिरजवाब अंदाज भी छात्रों के बीच लोकप्रिय था। अक्सर वे छात्रों के सवालों का जवाब हंसी-ठिठोली में देते थे। जब कोई उनसे ईमली की चटनी की रेसिपी पूछता तो वह कहते, "भेलपूरी की प्लेट 60 रुपये, चटनी की रेसिपी ढाई लाख। दो तो बताऊं?" और यदि कोई उनका हाल-चाल पूछता तो वे हंसी मजाक में जवाब देते, "पिछले हफ्ते ही 22 का हुआ हूं।" उनके हंसी-मजाक का तरीका इतना आकर्षक था कि हर कोई उनसे हंसी-ठिठोली करने के लिए आता था। एक बार एक छात्र ने उनसे कहा, "अंकल, मजेदार बातें करते हो," तो पिंकी अंकल ने जवाब दिया, "घर में आपकी आंटी मौका नहीं देती, तो यहीं बोलता हूं!" उनके ये चुटकुले और मजेदार जवाब न केवल छात्रों का मूड हल्का कर देते थे, बल्कि एक ऐसा आत्मीय रिश्ता भी बना लेते थे, जो सिर्फ ग्राहक और विक्रेता के बीच नहीं, बल्कि दो अच्छे दोस्तों के बीच होता है।  

कड़ी मेहनत से सफलता की कहानी
सुनील सेठी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में कई छोटे-मोटे काम किए थे, लेकिन कहीं भी सफलता नहीं मिली। इसके बाद, जब उन्होंने भेलपूरी का ठेला लगाने का निर्णय लिया, तो उन्हें समझ में आया कि यही उनका सच्चा मुकाम था। इस काम को उन्होंने दिल से अपनाया और धीरे-धीरे उन्होंने इसे अपने परिवार के कारोबार में तब्दील कर लिया। उनकी पत्नी ने भी इस काम में उनका साथ दिया और इस जोड़ी ने मिलकर अपने छोटे से ठेले को दिल्ली विश्वविद्यालय के एक महत्वपूर्ण स्थान में बदल दिया। 

सोशल मीडिया पर छाए पिंकी अंकल
सुनील सेठी के ठेले का स्वाद तो पहले से ही फेमस था, लेकिन जब सोशल मीडिया पर उनके वीडियो वायरल होने लगे तो उनकी प्रसिद्धि ने नया आयाम लिया। फूड ब्लॉगर्स और यूट्यूब चैनल्स ने उनके ठेले और भेलपूरी का वीडियो बनाना शुरू किया, जिससे पिंकी अंकल अचानक सुपरस्टार बन गए। उनका वीडियो देखकर न केवल दिल्ली के छात्र बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग उनके ठेले का स्वाद लेने के लिए आते थे। 

कैंपस में खो गई ऊर्जा  
सुनील सेठी के निधन के बाद नॉर्थ कैंपस का वह खास कोना, जहां उनका ठेला लगता था, अब सूना पड़ा है। छात्रों के बीच इस बात का शोक है कि अब उनके मजेदार संवाद और चटपटी भेलपूरी का स्वाद कहीं खो गया है। एक छात्र ने कहा, "पिंकी अंकल हमेशा हमारी टेंशन को समझते थे और हंसी-मजाक से हमें खुश कर देते थे। अब कैंपस में उनका न होना बहुत अजीब सा लगता है।" 

पिंकी अंकल का योगदान
सुनील सेठी ने सिर्फ स्वाद के मामले में ही छात्रों का दिल नहीं जीता था, बल्कि वह उनके लिए एक प्रेरणा भी बने। उन्होंने यह साबित किया कि सही दिशा में मेहनत और जुनून से किसी भी काम में सफलता पाई जा सकती है। उनके जीवन की यह प्रेरणादायक कहानी दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए हमेशा याद रहेगी।

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