Edited By Mahima,Updated: 12 Dec, 2024 12:21 PM
भारत सरकार डिलीवरी बॉय और कैब ड्राइवरों जैसे गिग वर्कर्स के लिए पेंशन और पीएफ जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की शुरुआत करने जा रही है। सरकार इस नई योजना पर काम कर रही है, जिसके तहत गिग वर्कर्स को सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इसके लिए...
नेशनल डेस्क: सरकार अब डिलीवरी बॉय (गिग वर्कर्स) और कैब ड्राइवर्स के लिए एक नई योजना तैयार करने जा रही है, जिससे इन कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी। इसके तहत, इन कर्मचारियों को पेंशन, पीएफ जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। इस दिशा में सरकार ने पॉलिसी तैयार करने का काम शुरू कर दिया है।
पेंशन और पीएफ की सुविधा
भारत में सरकारी कर्मचारियों को जो सुविधाएं मिलती हैं, जैसे पेंशन, पीएफ (प्रोविडेंट फंड) आदि, उन्हें अब गिग वर्कर्स के लिए भी लागू किया जाएगा। गिग वर्कर्स वे लोग होते हैं जो शॉर्ट टर्म और प्रोजेक्ट बेस्ड नौकरियां करते हैं, जैसे डिलीवरी बॉय, कैब ड्राइवर, फ्रीलांसर आदि। इस नई योजना का उद्देश्य इन कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो और वे अपनी भविष्य की योजना बना सकें।
लेबर मिनिस्ट्री की सेक्रेटरी सुमिता डावरा का बयान
ग्लोबल इकनॉमिक पॉलिसी फोरम में लेबर मिनिस्ट्री की सेक्रेटरी सुमिता डावरा ने इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज को लेकर एक नई नीति पर काम कर रही है। इसके तहत, इन कर्मचारियों के लिए पेंशन और पीएफ जैसी योजनाओं को लागू किया जाएगा। इसके लिए बड़ी कंपनियों जैसे स्विगी, जोमैटो से भी बातचीत की जा रही है।सुमिता डावरा ने कहा, "हमारी कोशिश है कि गिग वर्कर्स को भी सरकारी कर्मचारियों की तरह ही सामाजिक सुरक्षा मिल सके। हम जल्द ही इस दिशा में कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल गिग वर्कर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि उनके भविष्य को भी सुरक्षित बनाएगी।
गिग वर्कर्स की पहचान
गिग वर्कर्स वे लोग होते हैं जो अस्थायी या प्रोजेक्ट-आधारित नौकरियों में काम करते हैं। ये लोग आमतौर पर फ्रीलांसर होते हैं और अपने काम के घंटे या स्थान का चुनाव खुद करते हैं। इनके पास स्थायी रोजगार के बजाय शॉर्ट टर्म परियोजनाओं के तहत काम करने का विकल्प होता है। गिग वर्कर्स का काम किसी भी उद्योग में हो सकता है – चाहे वह खाद्य डिलीवरी हो, राइड-शेयरिंग हो या फिर कोई अन्य प्रकार की अस्थायी सेवाएं। हालांकि, इन कर्मचारियों को पारंपरिक कर्मचारियों की तरह नौकरी सुरक्षा या सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलते हैं। यही कारण है कि सरकार अब इन कर्मचारियों के लिए भी पेंशन, पीएफ जैसी योजनाओं पर विचार कर रही है, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।
आने वाले 10 वर्षों में रोजगार का भविष्य
सुमिता डावरा ने यह भी बताया कि आने वाले 10 वर्षों में भारत की वर्कफोर्स में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। भारत दुनिया की सबसे बड़ी कार्यबलों में से एक होगा और 2030 तक भारत की कुल आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा कामकाजी होगा। डावरा के अनुसार, भारत दुनिया में लेबर शॉर्टेज को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा। इसीलिए सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है, ताकि गिग वर्कर्स के अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें और उनकी सामाजिक सुरक्षा पर कोई समझौता न हो।
स्विगी, जोमैटो से बातचीत
स्विगी, जोमैटो जैसी कंपनियों के साथ भी इस योजना को लेकर बातचीत की जा रही है। इन कंपनियों के लिए यह एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि इनका बिजनेस मॉडल अस्थायी श्रमिकों पर आधारित है। हालांकि, सरकार का कहना है कि इससे न केवल गिग वर्कर्स को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि कंपनियों को भी अपने कर्मचारियों के लिए एक बेहतर और स्थिर वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
सरकार की सोशल सिक्योरिटी योजना
सरकार की योजना केवल पेंशन और पीएफ तक सीमित नहीं है, बल्कि गिग वर्कर्स के लिए एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजना पर भी विचार किया जा रहा है। इस योजना में स्वास्थ्य बीमा, अनैच्छिक दुर्घटनाओं के लिए बीमा, और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ शामिल हो सकते हैं। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गिग वर्कर्स का भविष्य सुरक्षित हो और वे किसी भी कठिनाई की स्थिति में खुद को वित्तीय संकट से उबार सकें। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से लाखों गिग वर्कर्स को भविष्य में आर्थिक सुरक्षा मिलेगी। यह योजना न केवल इन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगी, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी। आने वाले वर्षों में गिग वर्कर्स का योगदान बढ़ने वाला है, और ऐसे में उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार का यह कदम एक ऐतिहासिक निर्णय साबित हो सकता है।