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गर्भवती महिला की मौत के बाद पुणे में अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग, एक डॉक्टर ने दिया इस्तीफा

Edited By Rahul Rana,Updated: 09 Apr, 2025 04:38 PM

demand for action against hospital in pune after woman s death

महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक गर्भवती महिला की मौत के बाद राजनीतिक दलों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के आसपास भीड़ जमा होने पर रोक लगा दी है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब भाजपा के विधान परिषद...

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक गर्भवती महिला की मौत के बाद राजनीतिक दलों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के आसपास भीड़ जमा होने पर रोक लगा दी है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब भाजपा के विधान परिषद सदस्य अमित गोरखे के निजी सचिव की पत्नी तनीषा भिसे को कथित तौर पर अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया। उनका आरोप था कि अस्पताल ने 10 लाख रुपये जमा करने की शर्त रखी थी, जिसके बाद उन्हें अन्य अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उन्होंने जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया। अफसोस की बात है कि दोनों बच्चियां जन्म के बाद मृत हो गईं। इस घटना को लेकर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और महिला की मौत के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में एक गर्भवती महिला की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण पुलिस ने अस्पताल के आसपास किसी भी प्रकार की भीड़ पर रोक लगा दी है। अस्पताल की महिला डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया है, और जांच समिति ने पाया कि अस्पताल ने आपातकालीन मामलों में अग्रिम भुगतान की मांग करके नियमों का उल्लंघन किया है। इस मामले में आगे की कार्रवाई और परिणाम का इंतजार किया जा रहा है।

निषेधाज्ञा और प्रदर्शन

विरोध प्रदर्शनों के चलते अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा। यातायात भी प्रभावित हुआ, और एंबुलेंस की आवाजाही में भी बाधाएं आईं। इन घटनाओं को देखते हुए पुणे पुलिस ने दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की भीड़ एकत्रित होने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया। मंगलवार को संयुक्त पुलिस आयुक्त रंजन कुमार शर्मा द्वारा जारी निषेधाज्ञा में कहा गया कि प्रदर्शन के कारण अस्पताल में आने-जाने वाले लोगों को परेशानी हो रही थी। हालांकि, इस आदेश में मरीजों, उनके परिजनों और एंबुलेंस को छूट दी गई है, ताकि उनकी आवाजाही बिना किसी रुकावट के जारी रहे।

अस्पताल में तनाव और इस्तीफे की घटनाएं

इस बीच, अस्पताल की एक प्रमुख स्त्रीरोग विशेषज्ञ ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपनी इस्तीफे की वजह बताई कि उन्हें जनता का आक्रोश, सोशल मीडिया पर आलोचना और धमकी भरे फोन कॉल मिल रहे थे, जिससे वह मानसिक दबाव महसूस कर रही थीं। यह इस्तीफा उस समय सामने आया जब महिला की मौत के बाद अस्पताल के खिलाफ जनता और मीडिया की आलोचना चरम पर पहुंच गई थी। 

जांच और अस्पताल की गलती

महिला की मौत के कारण अस्पताल के खिलाफ एक जांच समिति का गठन किया गया। समिति ने पाया कि अस्पताल ने उन नियमों का उल्लंघन किया है, जिनके तहत आपातकालीन मामलों में चैरिटेबल अस्पतालों को अग्रिम भुगतान की राशि की मांग नहीं करनी चाहिए। यह पाया गया कि अस्पताल ने महिला के इलाज के लिए आवश्यक शुल्क की मांग की थी, जिसके कारण उसे समय पर इलाज नहीं मिल सका और अंत में महिला की मौत हो गई। 

आगे की कार्रवाई

इस घटना के बाद अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है, और जांच के परिणाम सामने आने का इंतजार किया जा रहा है। पुलिस ने भीड़ पर रोक लगाकर स्थिति को नियंत्रित किया है, लेकिन यह मामला अब तक सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। डॉक्टरों और अस्पताल कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग और अस्पताल के नियमों के उल्लंघन की जांच अभी जारी है। 
 

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