Edited By Mahima,Updated: 19 Nov, 2024 09:34 AM
समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मुस्लिम महिलाओं के बुर्का हटाने की चेकिंग पर रोक लगाने की मांग की है। सपा का कहना है कि यह प्रक्रिया मुस्लिम महिलाओं के लिए मानसिक तनाव का कारण बनती है और वे वोट नहीं डाल पातीं। बीजेपी ने पहले इस पर विरोध...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग को एक पत्र भेजा है, जिसमें उसने मुस्लिम महिलाओं की वोटिंग के दौरान बुर्का हटाकर चेकिंग न करने की मांग की है। यह पत्र खासकर मुस्लिम महिला मतदाताओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए लिखा गया है। सपा का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं को बुर्का पहनने के कारण मतदान के दौरान सुरक्षा बलों की जांच से डर लगता है, जिससे वे मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पातीं।
सपा ने क्या लिखा चुनाव आयोग को?
समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा, "अगर मुस्लिम महिलाएं बुर्का पहनकर मतदान केंद्र आती हैं तो पुलिस या अन्य सुरक्षा बलों को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। ऐसी महिलाएं अपनी पहचान साबित करने के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल कर सकती हैं।" पार्टी का यह भी आरोप है कि मुस्लिम महिलाएं बुर्का हटाने के डर से वोट डालने से कतराती हैं, क्योंकि वे समझती हैं कि इस प्रक्रिया में उनकी निजता का उल्लंघन हो सकता है।
बुर्का हटाने की प्रक्रिया पर मुस्लिम महिला मतदाताओं की चिंता
सपा ने पत्र में यह भी कहा है कि मुस्लिम महिला मतदाता जब मतदान करने के लिए बूथ पर पहुंचती हैं, तो उन्हें बुर्का हटाने के लिए मजबूर किया जाता है, जो कि उनके लिए मानसिक तनाव का कारण बनता है। पार्टी का कहना है कि महिलाएं इस प्रक्रिया के दौरान भयभीत हो जाती हैं, जिसके चलते वे वोटिंग से बचने का प्रयास करती हैं। इस पर चुनाव आयोग से अनुरोध किया गया है कि चुनाव के दौरान ऐसी महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाए, ताकि उनकी पहचान बिना किसी परेशानी के सही ढंग से हो सके और उनकी निजता का उल्लंघन न हो।
भाजपा का रुख और विवाद
समाजवादी पार्टी की इस मांग से राजनीति में एक नया विवाद उत्पन्न हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कई मौकों पर मुस्लिम महिला मतदाताओं की चेकिंग को लेकर अपना विरोध जताया है। बीजेपी का मानना है कि यदि कोई महिला बुर्का पहनकर मतदान करने आती है, तो उसकी पहचान की जांच की जानी चाहिए। दिल्ली में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की दिल्ली इकाई ने एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें उन्होंने चुनाव अधिकारियों से मांग की थी कि बुर्का पहनकर मतदान करने आई महिलाओं का चेहरा महिला पुलिस अधिकारी द्वारा चेक किया जाए। इस मुद्दे पर बीजेपी का कहना था कि बिना चेकिंग के मतदाता की पहचान सुनिश्चित नहीं की जा सकती।
यूपी उपचुनाव की तैयारी
उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। इन सीटों में कटेहरी (अंबेडकर नगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझावां (मिर्जापुर), शीशमऊ (कानपुर शहर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज), और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं। इन सीटों पर मतदान के बाद 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
सपा की चिंताएं और चुनाव आयोग से अनुरोध
समाजवादी पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग को इस तरह की घटनाओं को लेकर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए, ताकि मुस्लिम महिलाओं को अपनी वोटिंग प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। पार्टी का कहना है कि यह न सिर्फ महिला मतदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता भी सुनिश्चित होगी। समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से यह भी अपील की है कि यदि किसी महिला को अपना चेहरा खुला करने के लिए कहा जाता है, तो इसके लिए उचित और सम्मानजनक उपायों का पालन किया जाए, ताकि कोई भी महिला अपनी पहचान स्थापित करते समय असहज महसूस न करे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आना तय है। जहां एक तरफ सपा इस मुद्दे को महिला अधिकारों और धार्मिक संवेदनशीलता से जोड़कर देख रही है, वहीं बीजेपी इसे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण मान रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस मामले पर किस प्रकार का निर्णय लेता है और आगामी उपचुनावों में इस मुद्दे का क्या असर पड़ता है। सपा और बीजेपी के इस विवाद से आगामी उपचुनावों में एक नई राजनीतिक दिशा की ओर इशारा हो सकता है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर होने वाली चर्चाओं को और गहरा करेगा।