Edited By Rahul Rana,Updated: 15 Nov, 2024 11:49 AM
भारतीय रिजर्व बैंक यानि कि आरबीआई के ताजे आंकड़ों के अनुसार, 1 नवंबर को समाप्त हुए पखवाड़े में उधारी और जमा की वृद्धि लगभग समान रही। इस पखवाड़े में उधारी और जमा दोनों ही 11.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी हैं। यह स्थिति पिछले 30 महीनों में पहली बार आई है,...
नेशनल डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक यानि कि आरबीआई के ताजे आंकड़ों के अनुसार, 1 नवंबर को समाप्त हुए पखवाड़े में उधारी और जमा की वृद्धि लगभग समान रही। इस पखवाड़े में उधारी और जमा दोनों ही 11.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी हैं। यह स्थिति पिछले 30 महीनों में पहली बार आई है, जब उधारी और जमा की वृद्धि समान रही है।
पिछले पखवाड़े का हाल
इसके पहले 18 अक्टूबर को समाप्त हुए पखवाड़े में जमा की वृद्धि उधारी से अधिक थी। उस पखवाड़े में जमा वृद्धि 11.7 प्रतिशत रही थी, जबकि उधारी वृद्धि 11.5 प्रतिशत थी। यह बदलाव उस समय के बाद आया, जब उधारी में तेजी से वृद्धि हो रही थी और जमा में कमी देखने को मिल रही थी।
उधारी और जमा की कुल राशि
1 नवंबर को समाप्त पखवाड़े में प्रणाली में उधारी की कुल राशि 174.39 लाख करोड़ रुपये और जमा की कुल राशि 220.43 लाख करोड़ रुपये रही। इसका मतलब है कि जमा राशि उधारी से कहीं अधिक है, लेकिन दोनों की वृद्धि दर समान रही।
पहली बार जमा वृद्धि अधिक
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 18 अक्टूबर के पखवाड़े से पहले 25 मार्च 2022 तक जमा वृद्धि उधारी से अधिक रही थी। उस समय उधारी और जमा के बीच अंतर 700 आधार अंक तक बढ़ गया था, जोकि एक बड़ा फर्क था। इस दौरान, उधारी वृद्धि उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी और जमा वृद्धि में कमी आई थी।
रिजर्व बैंक की नीतियों का असर
इस कमी का एक प्रमुख कारण आरबीआई की नीतियां हैं, जिसमें उसने बैंकों को उधारी और जमा अनुपात (एलडीआर) को कम करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा आरबीआई ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के असुरक्षित ऋणों और जोखिमों को बढ़ाने के मामले में भी कदम उठाए थे, जिससे बैंकों के पास जमा वृद्धि में कमी आई थी।
एचडीएफसी बैंक का कदम
भारत के सबसे बड़े निजी बैंक एचडीएफसी बैंक ने भी अपनी उधारी वृद्धि को धीमा किया था ताकि वह अपने उधारी और जमा अनुपात (एलडीआर) को कम कर सके। इस कदम से कुल उधारी वृद्धि में गिरावट आई।
आगे का अनुमान
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ महीनों में उधारी की वृद्धि जमा से अधिक रह सकती है। खासकर चौथी तिमाही में उधारी गतिविधियों में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि यह आमतौर पर उधारी का सबसे सक्रिय समय होता है।