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Bisleri और Aquapeya के बीच विवाद: बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश, Aquapeya की बिक्री और उत्पादन पर रोक

Edited By Rahul Rana,Updated: 02 Apr, 2025 05:59 PM

dispute between bisleri and aquapeya court gives big order bans sale

भारतीय पैकेज्ड वॉटर इंडस्ट्री में एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें बिसलेरी इंटरनेशनल ने स्टार्टअप Aquapeya के खिलाफ ट्रेडमार्क और कॉपीराइट उल्लंघन का मामला दायर किया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए Aquapeya को अपने...

नेशनल डेस्क: भारतीय पैकेज्ड वॉटर इंडस्ट्री में एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें बिसलेरी इंटरनेशनल ने स्टार्टअप Aquapeya के खिलाफ ट्रेडमार्क और कॉपीराइट उल्लंघन का मामला दायर किया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए Aquapeya को अपने उत्पादों की बिक्री और उत्पादन पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया है। यह मामला भारतीय व्यापारिक जगत में बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व को और भी स्पष्ट करता है। बिजनेस और व्यापार की दुनिया में बौद्धिक संपदा का उल्लंघन गंभीर परिणामों को जन्म दे सकता है। इस मामले में बिसलेरी ने अपने ट्रेडमार्क की रक्षा की, जबकि Aquapeya को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। यह उद्योग में सभी के लिए एक सीख है कि ब्रांडिंग और पैकेजिंग में किसी भी प्रकार की नकल से बचना चाहिए।

Aquapeya का उदय और बिसलेरी का आरोप 

Aquapeya एक उभरता हुआ पैकेज्ड वॉटर ब्रांड है, जिसने हाल ही में लोकप्रिय रियलिटी शो *शार्क टैंक इंडिया* सीजन 4 में हिस्सा लिया था। इस शो के दौरान, Aquapeya ने जज नमिता थापर और रितेश अग्रवाल से ₹70 लाख की फंडिंग हासिल की थी, जिससे उनकी कंपनी का कुल मूल्यांकन ₹23.33 करोड़ हो गया था। हालांकि, फरवरी में बिसलेरी इंटरनेशनल ने बॉम्बे हाई कोर्ट में Aquapeya के खिलाफ ट्रेडमार्क और कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा दायर किया। 

बिसलेरी का आरोप था कि Aquapeya ने अपने उत्पाद की पैकेजिंग और ब्रांडिंग में ऐसे तत्व अपनाए हैं जो बिसलेरी के ट्रेडमार्क से मिलते-जुलते हैं, जिससे उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। बिसलेरी का कहना था कि उनके ब्रांड का नाम और पैकेजिंग इतने वर्षों से प्रतिष्ठित और पहचान योग्य हैं कि किसी भी अन्य ब्रांड का इन्हें नकल करना ग्राहकों को गुमराह कर सकता है। 

कोर्ट का फैसला: बौद्धिक संपदा की रक्षा की आवश्यकता 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बिसलेरी की याचिका को स्वीकार किया और आदेश दिया कि Aquapeya के निर्माता Natvits Beverages को अपने उत्पादों की बिक्री और उत्पादन पर तुरंत रोक लगानी होगी। कोर्ट ने कहा कि किसी भी स्थापित ब्रांड की पहचान को नुकसान पहुंचाना और प्रतिस्पर्धी बाजार में नकल करना बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन है, जो उपभोक्ताओं के लिए भ्रम पैदा कर सकता है। कोर्ट ने यह भी माना कि बौद्धिक संपदा के अधिकारों का संरक्षण करना आवश्यक है, खासकर जब बात एक स्थापित और पहचान प्राप्त ब्रांड की हो। 

बिसलेरी की आपत्ति: ब्रांडिंग और पैकेजिंग का मिलना 

बिसलेरी, जो कि भारत के पैकेज्ड वॉटर सेक्टर का एक बड़ा नाम है, ने Aquapeya के खिलाफ यह मामला दर्ज किया था। बिसलेरी का आरोप था कि Aquapeya ने उनकी ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग से संबंधित तत्वों की नकल की है। बिसलेरी का कहना था कि इससे उपभोक्ताओं के बीच भ्रम हो सकता है और उनका विश्वास भी टूट सकता है। 

बिसलेरी भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्रतिष्ठित पैकेज्ड वॉटर ब्रांड है। कंपनी ने कई दशकों से उपभोक्ताओं के बीच अपनी एक सशक्त पहचान बनाई है। ऐसे में, नए ब्रांड्स को बिसलेरी जैसे स्थापित ब्रांड की पहचान की नकल करने से बचना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं को स्पष्टता रहे और वे सही उत्पाद का चुनाव कर सकें।

Aquapeya के लिए बड़ा झटका: बाजार में पहचान की चुनौती 

Aquapeya के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश एक बड़ा झटका साबित हुआ है। कंपनी ने हाल ही में निवेशकों से महत्वपूर्ण फंडिंग हासिल की थी और अब वह बाजार में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही थी। हालांकि, इस फैसले ने एक अहम संदेश दिया है कि नए स्टार्टअप्स को बौद्धिक संपदा अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी उत्पाद को लॉन्च करने से पहले उनके ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के पहलुओं को ठीक से समझना चाहिए। Aquapeya के लिए यह मामला एक चेतावनी है कि किसी भी नए व्यापार को शुरू करने से पहले उन्हें बौद्धिक संपदा के मामलों में सतर्क रहना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे विवादों से बचा जा सके। 

समाप्ति: बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्व 

यह मामला बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व को उजागर करता है और यह बताता है कि व्यापारिक जगत में किसी भी ब्रांड के लिए उसकी पहचान और ट्रेडमार्क बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। बिसलेरी का मामला एक उदाहरण है, जहां उन्होंने अपने ब्रांड को बचाने के लिए कानूनी रास्ता अपनाया। वहीं, Aquapeya को अब अपनी पहचान और ब्रांडिंग में बदलाव करना होगा, ताकि वे भविष्य में इस तरह के विवादों से बच सकें। 


 

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