Edited By Mahima,Updated: 06 Nov, 2024 01:00 PM
कानपुर में ओला एस1 प्रो ई-स्कूटर के मालिक ने शिकायत की कि स्कूटर में लगातार खराबी आ रही थी, बावजूद इसके ओला इलेक्ट्रिक ने समाधान नहीं किया। जिला उपभोक्ता आयोग ने ओला को ₹1,63,986 वापस करने और ₹10,000 का मुआवजा देने का आदेश दिया। यदि आदेश का पालन...
नेशनल डेस्क: कानूनी प्रक्रिया के तहत, हैदराबाद स्थित रंगा रेड्डी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ओला इलेक्ट्रिक को एक ई-स्कूटर के मालिक को ₹1,63,986 की राशि वापस करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, ओला इलेक्ट्रिक को ₹10,000 का मुआवजा भी देने को कहा गया है। यह फैसला ओला इलेक्ट्रिक द्वारा स्कूटर में खराबी को ठीक न करने के कारण लिया गया।
शिकायत का मामला
यह मामला ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ शिकायत करने वाले एक उपभोक्ता द्वारा दायर किया गया था, जो ओला एस1 प्रो ई-स्कूटर का मालिक था। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने 26 जून, 2022 को ओला एस1 प्रो स्कूटर खरीदी थी, लेकिन डिलीवरी के बाद से ही उन्हें स्कूटर के साथ लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ा। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने ₹6,299 की अतिरिक्त लागत पर विस्तारित वारंटी और ₹3,539 का ओला केयर प्लान भी खरीदा था, लेकिन इसके बावजूद स्कूटर का चार्जर सही से काम नहीं कर रहा था। इसके अलावा, बैटरी की समस्या लगातार बनी रही, जिससे वाहन का उपयोग असंभव हो गया।
समस्या का समाधान न होने पर कार्रवाई
शिकायतकर्ता ने बार-बार ओला इलेक्ट्रिक से इस मामले में समाधान की मांग की, लेकिन कंपनी ने कोई कार्रवाई नहीं की। अगस्त 2023 तक, जब तक स्कूटर कंपनी के पास पड़ा रहा, तब तक भी कोई सुधार या समाधान नहीं किया गया। इसके बाद, शिकायतकर्ता ने ओला इलेक्ट्रिक को अक्टूबर 2023 में कानूनी नोटिस भेजा, लेकिन कंपनी ने इसका भी कोई जवाब नहीं दिया। कंपनी की लापरवाही और शिकायतों के निराकरण में विफलता के बाद, शिकायतकर्ता ने मामले को जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया। आयोग ने इस मामले की सुनवाई की, लेकिन ओला इलेक्ट्रिक के प्रतिनिधि सुनवाई के दौरान मौजूद नहीं थे, न ही उन्होंने कोई जवाब दिया।
आयोग का आदेश
आयोग ने ओला इलेक्ट्रिक को दोषी ठहराते हुए कहा कि कंपनी ने उपभोक्ता को उचित सेवा प्रदान नहीं की और वारंटी अवधि के दौरान स्कूटर की समस्याओं का समाधान करने में लापरवाही दिखाई। आयोग ने ओला इलेक्ट्रिक को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को ₹1,63,986 की राशि ब्याज सहित वापस करे। इसके अलावा, कंपनी को ₹10,000 का मुआवजा भी देना होगा। यदि ओला इलेक्ट्रिक 45 दिनों के भीतर इस आदेश का पालन नहीं करता, तो ब्याज दर 9% से बढ़ाकर 12% प्रति वर्ष कर दी जाएगी।
कंपनी का पक्ष
ओला इलेक्ट्रिक के एक प्रतिनिधि, नीरज वाधवानी, जो एसएंडएन श्रीफल कनफेक्शनरी के संचालक हैं, ने इस मामले पर अपनी टिप्पणी दी। उन्होंने कहा कि जिस टाफी के बारे में शिकायत की जा रही है, वह असल में एक जैली टाफी होती है जो बच्चों के लिए सुरक्षित मानी जाती है। उन्होंने आगे कहा कि वे इस मामले पर कानपुर के डिस्ट्रीब्यूटर से बात करने के बाद ही कोई और बयान देंगे।
आयोग का फैसला और उपभोक्ताओं के लिए संदेश
जिला उपभोक्ता आयोग का यह आदेश इस बात का प्रतीक है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना कितना महत्वपूर्ण है। जब कोई कंपनी अपनी उत्पादों और सेवाओं को लेकर उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान करने में विफल होती है, तो उपभोक्ता को कानूनी अधिकार मिलते हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए आयोग हस्तक्षेप करता है। यह आदेश अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी एक उदाहरण है कि अगर किसी कंपनी के उत्पाद में खराबी या लापरवाही के कारण नुकसान होता है, तो वे भी अपने अधिकारों का संरक्षण कर सकते हैं और न्याय की प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं। यह मामला ओला इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियों के लिए एक चेतावनी है कि वे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता और समय पर सेवा प्रदान करने में लापरवाही न करें। उपभोक्ताओं को अपनी समस्याओं का समाधान पाने का पूरा अधिकार है, और अगर कंपनियां उन्हें नजरअंदाज करती हैं तो कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं। इस फैसले से यह भी सिद्ध होता है कि उपभोक्ता न्याय प्रक्रिया के माध्यम से अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।