Edited By Mahima,Updated: 28 Dec, 2024 01:22 PM
पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। वे एक महान नेता और अर्थशास्त्री थे जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े सुधार किए। उनके कार्यकाल में मनरेगा, राइट टू इंफॉर्मेशन और परमाणु डील जैसे...
नेशनल डेस्क: भारत ने एक ऐसा सपूत खो दिया है जो सदियों में एक बार जन्म लेता है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान, उनकी विचारधारा, उनकी कार्यशैली, और उनकी समर्पित निष्ठा ने देश को न केवल एक नई दिशा दी, बल्कि उन्हें भारतीय राजनीति के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली नेताओं में एक बना दिया। उनकी यादें, उनके योगदान और उनका सरल, विनम्र व्यक्तित्व भारतीयों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगा।
डॉ. मनमोहन सिंह का परिचय भारतीय नागरिकों के लिए सबसे पहले नोटों पर उनके दस्तखत से हुआ था। जब वे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे, तब उनकी दस्तखत वाली करेंसी नोटों ने आम नागरिकों के बीच उन्हें एक परिचित चेहरा बना दिया था। इसके बाद, 1990 के दशक में जब वे भारत के वित्त मंत्री बने, तो उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। उन्होंने भारतीय आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, और आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को तेज किया। उनके कार्यकाल में शुरू हुई आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर एक नया स्थान दिलाया।
मनमोहन सिंह का कार्यकाल केवल वित्त मंत्री तक सीमित नहीं था। जब वे प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने अपनी पहली पारी में कई ऐतिहासिक फैसले लिए। उन्होंने गरीबों, मजदूरों और किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की। माने गए मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को लागू किया, जो ग्रामीण भारत के रोजगार संकट को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके अलावा, "राइट टू इन्फॉर्मेंशन" (सूचना का अधिकार) और "राइट टू एजुकेशन" (शिक्षा का अधिकार) जैसे अहम कानून भी उनके कार्यकाल में बनाए गए। इन कानूनों ने न केवल समाज के कमजोर वर्ग को अधिकार दिए, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक संस्थाओं को भी मजबूत किया।
मनमोहन सिंह का दूसरा कार्यकाल कई चुनौतियों से भरा था। उन्हें राजनीतिक विरोधों, भ्रष्टाचार के आरोपों और गठबंधन सरकार की मजबूरियों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी ईमानदारी और निष्ठा से अपने कर्तव्यों को निभाया। उनका सबसे बड़ा कदम यह था कि उन्होंने अपनी सरकार को दांव पर लगाकर 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को पूरा किया। यह एक ऐतिहासिक फैसला था, जिसने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दिलाई। इसके साथ ही, इस निर्णय ने भारत को वैश्विक परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में प्रवेश का रास्ता भी खोला।
मनमोहन सिंह का करियर शिक्षा से शुरू हुआ था। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की थी, और फिर भारत लौटकर पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाना शुरू किया। उनकी गहरी समझ और विशेषज्ञता ने उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। बाद में, उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर के रूप में काम किया। उनका ज्ञान और दृष्टिकोण इतना व्यापक था कि वे भारतीय प्रधानमंत्री बनने से पहले भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार भी बने थे। उनकी कार्यशैली में हमेशा एक खास बात रही। वे अपनी विनम्रता, सरलता, और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। उनका व्यक्तिगत जीवन भी उनके सार्वजनिक जीवन से मेल खाता था। उन्होंने कभी भी राजनीति की सीमाओं से बाहर जाकर अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया।
यह उनकी सबसे बड़ी खूबी थी कि वह राजनीतिक दबावों और तात्कालिक लाभों से ऊपर उठकर राष्ट्र के दीर्घकालिक हितों के बारे में सोचते थे। यही कारण था कि उन्हें हर पार्टी और नेता से सम्मान मिला। मनमोहन सिंह ने हमेशा यह साबित किया कि एक नेता की असली ताकत उसकी निष्ठा, ईमानदारी और देश के प्रति समर्पण में है। उनका योगदान भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में हमेशा प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। वे न केवल एक प्रभावशाली प्रधानमंत्री थे, बल्कि एक ऐसे सच्चे कर्मयोगी थे जिन्होंने अपने कार्यों से हमेशा देश की सेवा की। डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन में एक अद्भुत समानता थी – चाहे वह नोटों पर दस्तखत हो, अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने का काम हो, या फिर प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक फैसले लेने का। उनका जीवन भारतीय राजनीति और समाज के लिए प्रेरणा बनकर हमेशा जीवित रहेगा। उनकी आत्मा को शांति मिले, और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन बने।