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सूखे कुएं, मीलों पैदल चलकर पानी लाने के लिए मजबूर महिलाएं...इस गांव में जल संकट

Edited By Harman Kaur,Updated: 22 Apr, 2025 12:17 PM

dry wells water crisis in this village

महाराष्ट्र के नासिक जिले के बोरिची बारी गांव में पानी की समस्या विकराल होती जा रही है और महिलाएं चिलचिलाती धूप में भी इन सूखे कुओं से पानी लाने को मजबूर हैं। कुएं का जलस्तर घट जाने के कारण अपनी दैनिक जरूरतों के वास्ते गांव की महिलाएं पानी निकालने के...

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के नासिक जिले के बोरिची बारी गांव में पानी की समस्या विकराल होती जा रही है और महिलाएं चिलचिलाती धूप में भी इन सूखे कुओं से पानी लाने को मजबूर हैं। कुएं का जलस्तर घट जाने के कारण अपनी दैनिक जरूरतों के वास्ते गांव की महिलाएं पानी निकालने के लिए इसकी पथरीली दीवारों पर चढ़कर अपनी जान जोखिम में डालती हैं। जिले के पेठ तालुका में बोरिची बारी पानी की गंभीर कमी से जूझ रहा है, क्योंकि गांव के तीन कुएं सूख रहे हैं और केवल एक में पानी है वह भी नाम मात्र का।
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ग्रामीणों को रस्सियों का उपयोग करके कुएं में नीचे उतरने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो एक खतरनाक काम है और उनकी जान जोखिम में डालता है। गांव के उप सरपंच सोमनाथ निकुले ने कहा, ‘‘हमारे पास तीन कुएं हैं, लेकिन वे पूरी तरह से बारिश के पानी पर निर्भर हैं। पानी की आपूर्ति जनवरी या फरवरी तक चलती है।'' उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को पानी लाने के लिए दो से तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है और जो लोग इतनी दूर नहीं जा पाते हैं, उन्हें 200 लीटर के एक बैरल के लिए 60 रुपए देने पड़ते हैं।

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निकुले ने कहा कि ‘जल जीवन मिशन' के तहत काम शुरू हुआ था, लेकिन बीच में ही रुक गया। ‘जल जीवन मिशन' देश के सभी ग्रामीण घरों में व्यक्तिगत नल कनेक्शन के माध्यम से पानी उपलब्ध कराने की एक केंद्रीय योजना है। गांव में पानी के संकट ने ग्रामीणों के निजी जीवन को भी प्रभावित किया है। निकुले ने कहा, ‘‘कोई भी अपनी बेटी की शादी गांव के पुरुषों से नहीं करना चाहता। पानी की समस्या के कारण कई पुरुष तीस साल की उम्र में भी अविवाहित रह जाते हैं।''

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'दो घड़े पानी लाने के लिए भीषण गर्मी में कई किलोमीटर पैदल चलते हैं'
इस परेशानी को दोहराते हुए चंद्राबाई भोईर (61) ने कहा, ‘‘हम दो घड़े पानी लाने के लिए भीषण गर्मी में कई किलोमीटर पैदल चलते हैं। कुएं का पानी गंदा है और इसे पीने के बाद बच्चे बीमार हो जाते हैं। हमें बर्तन भरने के लिए कुएं में उतरना पड़ता है। हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी मदद करेगी। अगर हमारे घरों में साल भर पानी आता रहे, तो यह एक वरदान होगा।'' जिन ग्रामीणों के पास मवेशी हैं, उन्हें अपने जानवरों को जीवित रखने के लिए पानी खरीदना पड़ता है।

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नासिक जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अर्जुन गुंडा ने संकट की गंभीरता को स्वीकार किया। गुंडा ने कहा, ‘‘कुम्बाले ग्राम पंचायत में पिछले पांच-छह दिनों से कुओं में पानी का स्तर गिरने के कारण पानी की कमी हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिए पंचायत ने टैंकरों के माध्यम से आपूर्ति शुरू कर दी है। ‘जल जीवन मिशन' के तहत बोरिची बारी के लिए पेयजल आपूर्ति योजना को मंजूरी दी गई है। कुएं के लिए एक नई जगह की पहचान की गई है और काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है। जल्द गांव में गर्मियों में भी नल का पानी मिलने लगेगा।'' लोगों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालकर कुएं में उतरने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उस विशेष कुएं का पानी पीने योग्य नहीं है।

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