Edited By Anu Malhotra,Updated: 19 Dec, 2024 05:38 PM

भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों में कई ऐसे अनोखे गांव हैं जो दो देशों की सीमाओं पर बसे हुए हैं। इन गांवों में रहने वाले लोग एक अनोखी स्थिति का अनुभव करते हैं, जहां वे एक ही समय में दो देशों के नागरिकों की तरह जीवन जीते हैं। इन गांवों के...
नेशनल डेस्क: भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों में कई ऐसे अनोखे गांव हैं जो दो देशों की सीमाओं पर बसे हुए हैं। इन गांवों में रहने वाले लोग एक अनोखी स्थिति का अनुभव करते हैं, जहां वे एक ही समय में दो देशों के नागरिकों की तरह जीवन जीते हैं। इन गांवों के निवासियों को दोनों देशों की सुविधाओं, संस्कृति, और विरासत का लाभ मिलता है।
इन गांवों की खासियत यह है कि यहां की जीवनशैली पर दोनों देशों का गहरा प्रभाव है। प्रशासनिक और कानूनी रूप से यह स्थिति भले ही जटिल हो, लेकिन इन गांवों के लोग इसे एक अवसर के रूप में देखते हैं। आइए, जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रमुख गांवों के बारे में, जहां एक साथ दो देशों की नागरिकता का लाभ मिलता है।
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दहग्राम और आंगरपोटा (भारत-बांग्लादेश)
इन गांवों के निवासियों को ‘टीन बीघा कॉरिडोर’ के जरिए भारत से जोड़ा गया है। यह कॉरिडोर संवाद और व्यापार का जरिया है, जो इन गांवों को खास बनाता है।
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लोंगवा (भारत-म्यांमार)
नागालैंड का यह गांव भारत और म्यांमार की सीमा पर स्थित है। यहां के मुखिया का घर दोनों देशों में बंटा हुआ है। लोग बिना वीजा-पासपोर्ट के दोनों देशों में आवाजाही करते हैं।
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मोहेशखोला (भारत-बांग्लादेश)
मेघालय में स्थित इस गांव का आधा हिस्सा भारत और आधा बांग्लादेश में है। यहां के लोग दोनों देशों की संस्कृतियों और सुविधाओं का लाभ उठाते हैं।
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दौलतपुर (भारत-बांग्लादेश)
यह गांव बांग्लादेश में स्थित है लेकिन भारतीय सीमा से सटा हुआ है। यहां दोनों देशों की सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का मिश्रण देखा जा सकता है।
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फुलबाड़ी (भारत-बांग्लादेश)
यह गांव अपनी खुशबूदार फूलों की खेती के लिए प्रसिद्ध है। फुलबाड़ी के लोग दोनों देशों के बाजारों में व्यापार करते हैं और सांस्कृतिक त्योहारों को साथ मनाते हैं।