Edited By Mahima,Updated: 20 Jan, 2025 01:25 PM
Harsha Richaria ने Mahakumbh से लौटने का निर्णय लिया, जिसके पीछे स्वामी आनंद स्वरूप जी की आलोचना थी। स्वामी जी ने हर्षा को साध्वी के नकली रूप में त्रिपुंड और जटा लगाने के लिए फटकारा था। उन्होंने कहा कि साध्वी बनने के लिए तपस्या और ब्रह्मचर्य की...
नेशनल डेस्क: Harsha Richaria का नाम इस समय Mahakumbh के बाद चर्चा में है। हाल ही में हर्षा ने Mahakumbh से अचानक लौटने का फैसला किया, और इसके पीछे एक बड़ी वजह रही स्वामी आनंद स्वरूप जी की तीखी फटकार। स्वामी जी ने हर्षा को साध्वी का नकली रूप धारण करने और साध्वी के भेष में त्रिपुंड और जटा लगाने के लिए कड़ी आलोचना की थी। स्वामी जी का कहना था कि इस तरह के काम से सनातन धर्म की मर्यादा का उल्लंघन होता है।
Harsha Richaria ने इस फटकार के बाद Mahakumbh छोड़ने का निर्णय लिया। इसके कुछ समय बाद, उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह रोते हुए कह रही थीं कि वह साध्वी नहीं हैं, लेकिन धर्म को समझने के उद्देश्य से Mahakumbh आई थीं। हर्षा ने इस वीडियो में यह भी कहा था कि जिन लोगों के कारण उन्हें Mahakumbh छोड़ना पड़ा, उन्हें पाप लगेगा। स्वामी आनंद स्वरूप जी ने इस मामले पर अब विस्तार से अपनी बात रखी है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "हां, अगर ऐसे लोग Mahakumbh में आएंगे, तो उन्हें कुंभ छोड़ देना चाहिए। मुझे ऐसे फर्जी लोगों से डर है। अगर डर नहीं होगा, तो ऐसे लोग कुंभ में आएंगे और हमारे धर्म का अपमान करेंगे। Harsha Richaria के मामले में यही हुआ। उनका यह कदम सनातन धर्म की मर्यादा का अपमान था।"
स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि हर्षा ने जो किया, वह महापाप था। उन्होंने कहा, "अगर वह धर्म को समझने आई थीं, तो छद्म भेष क्यों बनाया? नकली जटा और त्रिपुंड क्यों लगाया? उन्होंने मीडिया में कहा था कि वह दो साल से साध्वी के रूप में रह रही हैं और वापस जाने का सवाल ही नहीं है। लेकिन अगले ही दिन उनकी मां का बयान आया कि उनकी शादी तय हो गई है। यह सब किसी पहले से लिखी गई स्क्रिप्ट जैसा लग रहा था, ताकि उनके फॉलोअर्स बढ़ें।" स्वामी आनंद स्वरूप जी ने कहा कि हर्षा ने जिस तरह से साध्वी के रूप में मीडिया में पेश आने की कोशिश की, उससे यह साफ होता है कि उनका असली उद्देश्य केवल सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ाना था। स्वामी जी ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी साध्वी को 'सबसे सुंदर साध्वी' के रूप में प्रचारित किया गया। हमारी पंरपरा में साध्वी का असली माप हृदय की पवित्रता और तपस्या होती है, न कि चेहरे की सुंदरता या लिपिस्टिक।"
स्वामी जी ने यह भी कहा कि साध्वी बनने के लिए वर्षों की तपस्या और ब्रह्मचर्य की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, "हर्षा ने अपने रूप में जो बदलाव किया, वह कुछ ही दिनों में किया। साध्वी बनने के लिए वह काम 10-12 सालों की साधना का परिणाम होता है, लेकिन हर्षा ने कुछ ही दिनों में वह सब हासिल कर लिया। इस प्रक्रिया में उन्होंने किसी ब्यूटी पार्लर का सहारा लिया, नकली बाल लगाए, त्रिपुंड पहना और खुद को साध्वी के रूप में प्रस्तुत किया। यह हमारे सनातन धर्म का अपमान था।"
स्वामी जी ने आगे कहा, "हमारी सभी साध्वियां जो कुंभ में हैं, वे यहां ज्ञान प्राप्त करने आई हैं, वे तपस्या और साधना कर रही हैं। लेकिन हर्षा को देखकर यह साफ था कि वह केवल स्वांग रचने और रील बनाने के लिए यहां आई थीं। अगर वह साध्वी के रूप में नहीं आतीं और सामान्य कपड़े पहनकर आतीं, तो कोई समस्या नहीं होती। लेकिन उनका उद्देश्य फॉलोअर्स बढ़ाना था। और आज उनके फॉलोअर्स 3 लाख से 3 मिलियन हो गए हैं।" स्वामी जी ने यह भी कहा कि अगर हर्षा को धर्म को सही तरीके से समझना था, तो उन्हें Mahakumbh से भागने के बजाय वहां रहकर प्रायश्चित करना चाहिए था। उन्हें अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए थी और गुरुओं से माफी मांगनी चाहिए थी।