Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 Mar, 2025 07:43 AM

प्रकृति ने एक बार फिर से अपने रौद्र रूप का अहसास कराया है। लेह-लद्दाख में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं, जो एक बार फिर से इलाके में दहशत का कारण बने। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.6 मापी गई है
नई दिल्ली: प्रकृति ने एक बार फिर से अपने रौद्र रूप का अहसास कराया है। लेह-लद्दाख में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं, जो एक बार फिर से इलाके में दहशत का कारण बने। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.6 मापी गई है और इसका केंद्र भी लेह-लद्दाख ही माना जा रहा है। यह भूकंप आज सुबह 4 बजकर 32 मिनट 58 सेकंड पर आया। इस घटना ने क्षेत्र में रहने वालों को एक बार फिर से भूकंप के खतरों की याद दिला दी है। वहीं, इससे पहले अफगानिस्तान में भी भूकंप के तेज झटके महसूस हुए थे, जिनकी तीव्रता 4.2 थी, जिससे पड़ोसी देश में भी दहशत फैल गई थी।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने भूकंप के झटकों से संबंधित जानकारी दी और बताया कि यह घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि भूगर्भीय गतिविधियाँ जारी हैं। इन घटनाओं से न केवल इन क्षेत्रों की स्थिति की गंभीरता समझी जा सकती है, बल्कि यह प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हमारी तैयारी की अहमियत को भी रेखांकित करता है।
भूकंप के कारण और उनका असर
भारत में भूकंपों का मुख्य कारण हिमालय क्षेत्र में टेक्टोनिक गतिविधियां हैं। यहां भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच तनाव और टकराव होते रहते हैं, जिससे भूकंपीय गतिविधियां उत्पन्न होती हैं। ये भूगर्भीय घटनाएं उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत जैसे भूकंप-संवेदनशील क्षेत्रों में अक्सर महसूस की जाती हैं।
जब टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल होती है, तो वह ऊर्जा को संचित करती है। जब यह ऊर्जा अचानक रिलीज होती है, तो भूकंप आते हैं। यदि इन प्लेटों के बीच तनाव बढ़ता है, तो ऊर्जा का दबाव भी बढ़ता है, जिससे कभी-कभी बड़े और भयंकर भूकंप के झटके महसूस हो सकते हैं।