Edited By Mahima,Updated: 12 Nov, 2024 12:22 PM
केंद्र सरकार EPFO के तहत कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में 6,000 रुपये की बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है, जिससे वेतन 15,000 से बढ़कर 21,000 रुपये हो सकता है। यह कदम कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करेगा और उनकी भविष्य निधि व पेंशन बढ़ाएगा।...
नेशनल डेस्क: देशभर के करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है। अगर यह प्रस्ताव पास हो गया तो कर्मचारियों को न केवल सैलरी में बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा, बल्कि उनकी सामाजिक सुरक्षा भी मजबूत होगी।
क्या है मौजूदा स्थिति?
अभी तक EPFO के तहत कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 15,000 रुपये प्रति माह है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये या इससे कम है, तो वह EPFO के तहत अपनी भविष्य निधि जमा करता है। लेकिन सरकार अब इस न्यूनतम वेतन को बढ़ाने का विचार कर रही है। यदि सरकार ने प्रस्ताव को मंजूरी दी तो न्यूनतम वेतन 15,000 रुपये से बढ़कर 21,000 रुपये हो जाएगा, यानी 6,000 रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है।
सैलरी में बढ़ोतरी का असर
इस प्रस्ताव का लाभ सीधे तौर पर EPFO के तहत आने वाले कर्मचारियों को होगा। अगर सैलरी बढ़ती है, तो भविष्य निधि (PF) और पेंशन का अमाउंट भी बढ़ेगा, जिससे कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा मजबूत होगी। इसके अलावा, यदि वेतन बढ़ता है, तो कर्मचारियों के खाते में जमा होने वाली कुल रकम में भी इजाफा होगा, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा।
कब हुआ था आखिरी इंक्रीमेंट?
यह ध्यान देने वाली बात है कि EPFO के तहत वेतन में आखिरी बढ़ोतरी 2014 में की गई थी। तब न्यूनतम वेतन 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया था। अब, लगभग 10 साल बाद, सरकार द्वारा एक बार फिर से वेतन बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। यह बदलाव कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत हो सकता है, खासकर महंगाई के दौर में।
कंपनियों को क्या असर होगा?
हालांकि, इस प्रस्ताव के लागू होने से कंपनियों पर कुछ बोझ भी बढ़ सकता है। खासकर, सूक्ष्म और लघु कंपनियों में इस पर विरोध हो सकता है, क्योंकि वे EPFO के तहत कर्मचारियों की संख्या घटाने का विचार कर सकती हैं। उनके लिए कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी से लागत बढ़ने का डर है। हालांकि, इस पर श्रम मंत्रालय कंपनियों से बातचीत कर रहा है और वे इस मुद्दे का समाधान ढूंढने में जुटे हैं।
EPFO में योगदान कैसे होता है?
EPFO के तहत, कर्मचारी और कंपनी दोनों मिलकर भविष्य निधि खाते में योगदान करते हैं। कर्मचारी और कंपनी दोनों का योगदान 12-12 प्रतिशत होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये है, तो कर्मचारी 1,800 रुपये (12%) और कंपनी भी 1,800 रुपये (12%) भविष्य निधि खाते में जमा करती है। इसके बाद, कंपनी का योगदान 8.33% पेंशन योजना (EPS) में जाता है और बाकी 3.67% PF खाते में जमा होता है। इसके अलावा, यदि कर्मचारी की सेवा 10 साल पूरी हो जाती है, तो वह पेंशन प्राप्त करने का पात्र बनता है।
कितनी बार निकाला जा सकता है पैसा?
EPFO के तहत जमा किए गए पैसे को विभिन्न कारणों से निकाला जा सकता है। अगर कर्मचारी को इमरजेंसी की स्थिति में पैसा चाहिए, तो वह बीच में भी राशि निकाल सकता है। हालांकि, एक साल में कितनी बार पैसा निकाला जा सकता है, इसके लिए सरकार ने कुछ सीमाएं तय की हैं। इस तरह से, कर्मचारी अपनी जरूरतों के हिसाब से कभी भी EPFO खाते से पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन यह संख्या सीमित होती है।
नए साल से पहले फैसला हो सकता है
बताया जा रहा है कि सरकार EPFO के तहत सैलरी बढ़ाने के इस प्रस्ताव पर जल्दी ही फैसला ले सकती है, और हो सकता है कि यह तोहफा कर्मचारियों को नए साल से पहले मिल जाए। इससे करोड़ों कर्मचारियों को उम्मीद है कि उनकी सैलरी में बढ़ोतरी से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा।
केंद्र सरकार की तरफ से EPFO के तहत सैलरी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव एक अहम कदम हो सकता है, जो कर्मचारियों के लिए वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाएगा। हालांकि, इसके लिए अभी कुछ प्रक्रियाओं का पालन किया जाना बाकी है, लेकिन अगर यह फैसला लागू होता है तो कर्मचारियों को निश्चित रूप से इसका बड़ा लाभ मिलेगा। EPFO के तहत वेतन बढ़ोतरी से ना सिर्फ कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा होगा, बल्कि उनकी पेंशन और भविष्य निधि भी बढ़ेगी, जिससे उनके सामाजिक सुरक्षा के साधन और मजबूत होंगे।