Edited By Mahima,Updated: 05 Sep, 2024 10:04 AM
राजस्थान हाईकोर्ट ने दो से ज्यादा बच्चों वाले सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। दरअसल 2023 में तत्कालीन सरकार ने दो से ज्यादा बच्चों वाले सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन से लगी रोक हटाने का फैसला किया था।
नेशनल डेस्क: राजस्थान हाईकोर्ट ने दो से ज्यादा बच्चों वाले सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। दरअसल 2023 में तत्कालीन सरकार ने दो से ज्यादा बच्चों वाले सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन से लगी रोक हटाने का फैसला किया था। यह रोक सरकार ने पहले लगाई थी, जिसके तहत जिन भी सकारी कर्मचारियों के 2 से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। हालांकि, जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया था फैसला
इससे पहले फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने टू-चाइल्ड पॉलिसी पर बड़ा फैसला दिया था। राजस्थान के "दो से ज्यादा बच्चों पर सरकारी नौकरी नहीं" वाले नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से मना करना भेदभावपूर्ण नहीं है। कोर्ट ने कहा था, नियम दो से ज्यादा जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित करता है और ये भेदभावपूर्ण नहीं है। कोर्ट ने साफ किया था कि इस नियम का मकसद परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है।
महाराष्ट्र में चुनाव लड़ने पर भी रोक
बता दें कि महाराष्ट्र में टू-चाइल्ड पॉलिसी को लेकर कई नियम हैं। 2001 का गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन में कहा गया है कि अगर किसी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उसकी मौत के बाद उसके परिवार के किसी भी व्यक्ति को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाएगी। वहीं 2005 से लागू हुए सिविल रूल्स में प्रावधान है कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं होंगे। इन नियमों के लागू होने के बाद अगर किसी कर्मचारी का तीसरा बच्चा होता है तो उसे सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य कर दिया जाएगा। ये नियम ए, बी, सी और डी ग्रुप में भर्ती होने वाले कर्मचारियों पर लागू होते हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में दो से ज्यादा बच्चे होने पर स्थानीय चुनाव लड़ने से भी रोक दिया जाता है। दो से ज्यादा बच्चों वाले लोग पंचायत और जिला परिषद का चुनाव नहीं लड़ सकते।