29 साल से पति से अलग रह रही पत्नी के खिलाफ HC ने सुनाया कड़ा फैसला, तलाक का दिया आदेश

Edited By Harman Kaur,Updated: 05 Sep, 2024 01:00 PM

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 साल से पति से अलग रह रही महिला के खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बलिया के ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पति की तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली है। दरअसल, शादी के दो साल तक महिला अपने पति के साथ रही। इसके बाद...

नेशनल डेस्क: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 साल से पति से अलग रह रही महिला के खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बलिया के ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पति की तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली है। दरअसल, शादी के दो साल तक महिला अपने पति के साथ रही। इसके बाद दोनों में किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया और महिला अपने मायके चली गई। जिसके कुछ समय बाद पति ने तलाक का मुकदमा दायर किया। वहीं, अब हाईकोर्ट ने 29 साल से चल रही वैवाहिक विवाद की लड़ाई को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों को तलाक लेने का आदेश दिया है।

दो साल पति के साथ रही फिर मायके चली गई पत्नी
बता दें कि मामला उत्तराखंड के हरिद्वार निवासी बसंत कुमार और बलिया की एक युवती के बीच का है। इनकी शादी 29 अप्रैल 1992 को हुई थी। शादी के बाद पत्नी केवल दो साल तक पति के साथ रही। इसके बाद, 8 नवंबर 1995 को पत्नी अपने माता-पिता के घर बलिया चली गई और उसके बाद से उसने पति के साथ कोई संपर्क नहीं रखा। इस दौरान, बसंत कुमार ने हरिद्वार में सिविल जज, सीनियर डिवीजन की अदालत में तलाक का मुकदमा दायर किया।

पति की याचिका को हाईकोर्ट ने किया मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए तलाक के लिए पति की याचिका को मंजूर कर लिया और बलिया ट्रायल कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने इसे 'मानवाधिकारों का उल्लंघन' बताते हुए टिप्पणी की कि 29 साल से चल रही वैवाहिक विवाद की लड़ाई को समाप्त करने के लिए तलाक का आदेश देना उचित है।

महिला ने ससुराल वालों पर लगाया दहेज उत्पीड़न का आरोप
इसके अलावा, पत्नी ने अपने पति और उसके नाबालिग भाई-बहनों पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया। पत्नी ने यह भी अनुरोध किया कि मुकदमे की सुनवाई बलिया स्थानांतरित की जाए। न्यायालय ने अनुरोध स्वीकार करते हुए मुकदमे को बलिया भेज दिया। बलिया ट्रायल कोर्ट ने इसके बाद तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसे बसंत कुमार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला इस लंबे समय से चल रहे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया है और अब दोनों पक्षों को तलाक लेने का आदेश दिया गया है।
 

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