Edited By Mahima,Updated: 14 Jan, 2025 05:14 PM
IITian बाबा, असली नाम अभय सिंह, IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करने के बाद फोटोग्राफी में करियर बनाने के बावजूद संन्यास लेने का फैसला करते हैं। उनका मानना है कि बाहरी सफलता से अधिक महत्व आत्मिक शांति और आंतरिक संतोष का है। अब वह अपने जीवन को...
नेशनल डेस्क: महाकुंभ 2025 के दौरान कई साधु-संत और नागा साधु चर्चा का केंद्र बन चुके हैं, लेकिन इस बार एक विशेष साधु का नाम सामने आया है, जिनका जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है। वह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि IITian बाबा (अभय सिंह) हैं, जिनकी कहानी आजकल सोशल मीडिया पर सुर्खियाँ बटोर रही है। IITian बाबा ने हाल ही में एक साक्षात्कार में अपनी ज़िंदगी के कई दिलचस्प पहलुओं को उजागर किया और बताया कि कैसे उन्होंने IIT मुंबई से इंजीनियरिंग करने के बाद फोटोग्राफी में करियर बनाने के बावजूद संन्यास लेने का फैसला किया।
IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री की हासिल
अभय सिंह ने पत्रकारों को बताया कि उनका असली नाम अभय सिंह है और वह IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके हैं। जब पत्रकार ने उनकी भाषा की गुणवत्ता पर सवाल उठाया, तो उन्होंने इसे सहजता से स्वीकार किया और बताया कि यह उनकी शिक्षा का ही परिणाम है। अभय का कहना है कि IIT जैसी प्रतिष्ठित संस्था से शिक्षा हासिल करने के बाद उनके पास जीवन में सफलता पाने के तमाम रास्ते थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने संन्यास लेने का एकदम अलग और दिलचस्प निर्णय लिया।
3 इडियट्स" के किरदार की तरह इंजीनियरिंग के बाद एक अलग दिशा में रखा कदम
IIT से इंजीनियरिंग करने के बाद, अभय सिंह ने अपनी रुचियों का पीछा करना शुरू किया और फोटोग्राफी के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने फिल्म "3 इडियट्स" के किरदार की तरह इंजीनियरिंग के बाद एक अलग दिशा में कदम रखा। फोटोग्राफी में अपना करियर बनाने के लिए उन्होंने कई वर्षों तक कड़ी मेहनत की और आर्ट्स में मास्टर डिग्री भी हासिल की। इस दौरान अभय ने एक साल तक फिजिक्स की कोचिंग भी दी और फोटोग्राफी की दुनिया में अपना नाम बनाने की कोशिश की।
संन्यास लेने का अद्भुत निर्णय
हालांकि, फोटोग्राफी में कुछ समय तक काम करने के बावजूद अभय को मानसिक संतुष्टि नहीं मिली। उन्होंने महसूस किया कि बाहरी सफलता, पैसे और मान्यता से आत्मिक शांति नहीं मिलती। इस अनुभव के बाद उन्होंने जीवन में एक गहरी खोज शुरू की और संन्यास लेने का निर्णय लिया। अभय सिंह का मानना है कि संन्यास, जीवन की सर्वोत्तम अवस्था है। उन्होंने कहा, "ज्ञान के पीछे चलते जाओ, चलते जाओ, कहां तक जाओगे? अंत में यही समझ आ जाएगी कि वही सबसे अच्छा है।" उन्होंने अपने जीवन को आंतरिक शांति और आत्मज्ञान की प्राप्ति की दिशा में समर्पित कर दिया।
बताई संन्यास से पहले और बाद की यात्रा
अभय सिंह का जन्म हरियाणा में हुआ था, लेकिन उन्होंने कई अलग-अलग शहरों में अपना जीवन बिताया। IIT मुंबई से स्नातक करने के बाद उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया, जिसके बाद उन्होंने अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानने की दिशा में काम करना शुरू किया। संन्यास लेने के बाद, अब वह समाज के कल्याण और व्यक्तिगत विकास के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में सीखा कि बाहरी सफलता केवल दिखावा होती है, असली सुख और शांति भीतर से आती है। उनका मानना है कि जब हम अपने अंदर की आंतरिक शांति को महसूस करते हैं, तभी जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझ में आता है।
IITian बाबा का संदेश
अभय सिंह का जीवन आज कई लोगों के लिए एक प्रेरणा बन चुका है। उनका मानना है कि इंसान को हमेशा अपने भीतर की आवाज सुननी चाहिए और आंतरिक शांति की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने समाज को यह सिखाया कि सफलता केवल बाहरी चीजों में नहीं मिलती, बल्कि यह आत्मिक संतोष और आत्मज्ञान में ही छिपी होती है। उनका जीवन यह प्रमाणित करता है कि संन्यास किसी भाग्य से नहीं, बल्कि एक समझ से आता है, जब व्यक्ति अपने अस्तित्व को जानता है और उसके उद्देश्य को पहचानता है। अभय सिंह का यह यात्रा संसार के लिए एक प्रेरणा बन गई है कि जीवन में संतुष्टि पाने के लिए हमें पहले अपने अंदर की दुनिया को समझना और उसे सही दिशा में ले जाना जरूरी है।