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सब खाक हो जाएगा... इतने साल बाद क्या खत्म हो जाएगी दुनिया? वैज्ञानिकों की चौंकाने वाली भविष्यवाणी

Edited By Mahima,Updated: 22 Jan, 2025 04:19 PM

everything will be destroyed  will the world end after so many years

इंग्लैंड की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि 25 करोड़ साल बाद पृथ्वी का तापमान 70°C तक बढ़ सकता है, जिससे जीवन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पृथ्वी का वातावरण बेहद गर्म हो...

नेशनल डेस्क: इंग्लैंड की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के भविष्य को लेकर एक विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उन्होंने पृथ्वी के विनाश की भविष्यवाणी की है। इस रिपोर्ट में सामने आई जानकारी के अनुसार, पृथ्वी पर जीवन के समाप्त होने का खतरा करीब 25 करोड़ साल बाद दिखाई दे रहा है। इस अध्ययन में ग्लोबल वॉर्मिंग, बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और पृथ्वी की भूगोलिक संरचनाओं के बदलावों का विश्लेषण किया गया है। 

वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में कंप्यूटर सिमुलेशन तकनीक का उपयोग किया, जिसके जरिए पृथ्वी के भविष्य का अध्ययन किया गया। इस सिमुलेशन में यह पाया गया कि जैसे-जैसे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे पृथ्वी का तापमान भी तेजी से बढ़ेगा। लगभग 25 करोड़ साल बाद, पृथ्वी का तापमान इतना अधिक हो जाएगा कि यह 70 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है। इतनी अधिक गर्मी में किसी भी जीव का जीवन संभव नहीं रह पाएगा। इस अत्यधिक गर्मी के कारण जीवन की सभी संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी।

वैज्ञानिकों का मानना है कि वर्तमान में पृथ्वी पर जिस गति से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हो रहा है, यदि वही गति जारी रहती है, तो हम अपने विनाश की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा के कारण वातावरण में अधिक गर्मी आएगी, जो जीवन को असंभव बना देगी। इस सिमुलेशन के अनुसार, यह बदलाव पृथ्वी के जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह से बदल देगा। इसके अलावा, यह अध्ययन पृथ्वी के भूगोलिक इतिहास और भविष्य की ओर भी इशारा करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, पृथ्वी पर एक समय था जब सभी महाद्वीप मिलकर एक बड़ा महाद्वीप 'पैंजिया' बनाते थे, जो लगभग 33 करोड़ से 17 करोड़ साल पहले था। फिर धीरे-धीरे यह महाद्वीप टूटकर वर्तमान स्थिति में बदल गया।

25 करोड़ साल बाद, सभी महाद्वीप फिर से एक साथ आकर एक नया सुपरकॉन्टिनेंट 'पैंजिया अल्टिमा' बनाएंगे। यह प्रक्रिया समुद्रों के सूखने और ज्वालामुखियों के फटने से जुड़ी होगी। जब पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा, तो यह ज्वालामुखी सक्रिय हो सकते हैं और इससे और अधिक गर्मी पैदा होगी। यह समग्र पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने के लिए पर्याप्त होगा। हालांकि, शोधकर्ता एलेक्जेंडर फ़ार्नस्वर्थ ने यह भी कहा कि पैंजिया अल्टिमा के कुछ हिस्सों के किनारों पर कुछ जीवित रहने योग्य परिस्थितियां हो सकती हैं। 

रिसर्च के अनुसार, बढ़ते तापमान और बढ़ते कार्बन उत्सर्जन के कारण पृथ्वी पर सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। जैसे-जैसे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी, यह सांस लेने के लिए असहनीय हो जाएगा और जीवों की तड़पते हुए मृत्यु हो सकती है। अंततः यह अत्यधिक गर्मी और बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड के कारण पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि पृथ्वी के भविष्य के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरे बहुत गंभीर हैं। वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी दी है कि अगर वर्तमान समय में हम कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के उपाय नहीं अपनाते, तो हम अपने विनाश की ओर बढ़ते रहेंगे।  

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