Excise policy case: कोर्ट से BRS नेता के कविता को लगा झटका, न्यायिक हिरासत 18 जुलाई तक बढ़ाई

Edited By rajesh kumar,Updated: 05 Jul, 2024 06:06 PM

excise policy case brs leader kavitha judicial custody extended till july 18

राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता की न्यायिक हिरासत 18 जुलाई तक बढ़ा दी।

नेशनल डेस्क: राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता की न्यायिक हिरासत 18 जुलाई तक बढ़ा दी। के कविता को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। उनके वकील ने न्यायिक हिरासत रिमांड का पुरजोर विरोध किया। राउज़ एवेन्यू अदालत कल उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर विचार कर सकती है।

14 दिनों के लिए बढ़ाई गई न्यायिक हिरासत 
विशेष सीबीआई न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने के. कविता की न्यायिक हिरासत अगले 14 दिनों के लिए बढ़ा दी। सुनवाई के दौरान उनके वकील पी मोहित राव ने न्यायिक हिरासत बढ़ाने की प्रार्थना का विरोध किया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। इस पर 6 जुलाई को विचार किया जाएगा। दिल्ली आबकारी नीति मामले में 7 जून को सीबीआई द्वारा दायर यह तीसरा पूरक आरोपपत्र है। 

15 मार्च को हुई थी गिरफ्तार 
कविता सीबीआई और मनी लॉन्ड्रिंग मामले दोनों में न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें सबसे पहले 15 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। उसके बाद 11 अप्रैल को सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया। ईडी ने दिल्ली आबकारी नीति धन शोधन मामले में भी उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने बताया कि जुलाई में दाखिल दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें प्रथम दृष्टया जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, कार्य संचालन नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली आबकारी अधिनियम-2009 और दिल्ली आबकारी नियम-2010 का उल्लंघन दर्शाया गया था। 

ईडी और सीबीआई ने लगाए गंभीर आरोप 
ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, लाइसेंस शुल्क माफ कर दिया गया या कम कर दिया गया तथा सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ा दिया गया।  जांच एजेंसियों ने कहा कि लाभार्थियों ने "अवैध" लाभ को आरोपी अधिकारियों तक पहुंचाया तथा पकड़े जाने से बचने के लिए अपने खातों में गलत प्रविष्टियां कीं।

आरोपों के अनुसार, आबकारी विभाग ने निर्धारित नियमों के विरुद्ध एक सफल निविदाकर्ता को लगभग 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि वापस करने का निर्णय लिया था। जांच एजेंसी ने कहा कि भले ही कोई सक्षम प्रावधान नहीं था, लेकिन कोविड-19 के कारण 28 दिसंबर, 2021 से 27 जनवरी, 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई और सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपए का कथित नुकसान हुआ।

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