Excise Policy: दिल्ली HC से केजरीवाल को झटका, पूर्व सीएम के खिलाफ सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार

Edited By rajesh kumar,Updated: 21 Nov, 2024 07:46 PM

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उच्च न्यायालय ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सुनवाई पर फिलहाल रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।

नेशनल डेस्क: उच्च न्यायालय ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सुनवाई पर फिलहाल रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ी अनियमितताओं के मामले में आरोपी हैं। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने केजरीवाल की उस याचिका पर जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा जिसमें आरोपपत्र पर संज्ञान लिए जाने के निचली आदेश को चुनौती दी गई है। इस मामले की सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।

केजरीवाल ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करने का अनुरोध किया और दलील दी कि कथित अपराध के समय वह एक लोक सेवक थे ऐसे में विशेष अदालत ने उनके खिलाफ सुनवाई के लिए किसी मंजूरी के बिना आरोपपत्र पर संज्ञान लिया। हालांकि, ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी मिल गई है और वह हलफनामा दाखिल करेंगे।

जब अदालत ने शुरू में सुनवाई अगले साल के लिए निर्धारित की तो पूर्व मुख्यमंत्री ने सुनवाई के लिए शीघ्र तारीख निर्धारित करने का अनुरोध किया था और उनके वकील ने आग्रह किया कि मामले की तात्कालिकता को देखते हुए स्थगन की उनकी याचिका पर आज ही आदेश पारित किया जाए। मेहता ने स्थगन आवेदन पर जवाब दाखिल करने का अनुरोध किया और कहा कि इस तरह का रुख अनुचित है। उच्च न्यायालय ने कथित आबकारी घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में अरविंद केजरीवाल को जारी समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर 12 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा।

उच्च न्यायालय ने आपराधिक मामले में फिलहाल निचली अदालत की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। धन शोधन मामले में उच्चतम न्यायालय ने 12 जुलाई को केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी और शीर्ष अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मामले में 13 सितंबर को उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था। सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत तक इसे रद्द कर दिया। 

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