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सुलह के तहत पत्नी को फ्लैट देने पर मिलेगी स्टांप ड्यूटी से छूट, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Edited By Harman Kaur,Updated: 12 Mar, 2025 11:42 AM

exemption from stamp duty on giving flat to wife as per settlemen

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर किसी वैवाहिक विवाद के निपटारे के दौरान पत्नी को फ्लैट दिया गया हो, तो उस फ्लैट के रजिस्ट्रेशन पर स्टांप ड्यूटी का भुगतान नहीं किया जाएगा। यह फैसला एक तलाक मामले में सुलह के बाद लिया गया, जिसमें पति ने...

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर किसी वैवाहिक विवाद के निपटारे के दौरान पत्नी को फ्लैट दिया गया हो, तो उस फ्लैट के रजिस्ट्रेशन पर स्टांप ड्यूटी का भुगतान नहीं किया जाएगा। यह फैसला एक तलाक मामले में सुलह के बाद लिया गया, जिसमें पति ने पत्नी के पक्ष में फ्लैट पर अपना अधिकार छोड़ दिया और बदले में पत्नी ने गुजारा भत्ते का दावा छोड़ दिया।

मामला महाराष्ट्र के कल्याण में स्थित एक जॉइंट फ्लैट का था, जहां पति और पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद उत्पन्न हुआ। पत्नी ने तलाक की अर्जी बांद्रा (मुंबई) में दाखिल की थी, जबकि पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की सुनवाई दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। यह मामला बाद में मध्यस्थता के लिए भेजा गया।

मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान फ्लैट को लेकर विवाद हुआ, क्योंकि दोनों पक्षों ने फ्लैट की खरीद में योगदान देने का दावा किया। आखिरकार, समझौते के तहत पति ने फ्लैट पर अपने अधिकार छोड़ दिए और पत्नी ने इसके बदले गुजारा भत्ते का दावा छोड़ दिया।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि क्या इस समझौते के तहत फ्लैट का ट्रांसफर पत्नी के नाम पर बिना स्टांप शुल्क के किया जा सकता है? कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चूंकि यह फ्लैट समझौते का हिस्सा है और इस मामले को न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया है, इसलिए रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत इस पर स्टांप शुल्क से छूट मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के संपत्ति अधिकारों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे ऐसे मामलों में कानूनी प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाने में मदद मिलेगी। इस फैसले से यह भी स्पष्ट हुआ है कि अगर संपत्ति का हस्तांतरण न्यायालय द्वारा अनुमोदित समझौते का हिस्सा है, तो उसे स्टांप शुल्क से छूट मिल सकती है। यह निर्णय समान मामलों के लिए एक नजीर बनेगा और पारिवारिक विवादों के समाधान में सुधार करेगा।

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