Edited By Harman Kaur,Updated: 21 Sep, 2024 03:08 PM
कांग्रेस पार्टी के नेता और लोकसभा में दिनों अमेरिका के दौरे पर गए थे। राहुल गांधी की विदेश यात्राएं अक्सर विवाद का विषय रही हैं क्योंकि उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान कुछ ऐसे बयान दिए हैं जो एक जिम्मेदार नेता के लिए अनुचित हैं। हाल ही में अमेरिका...
नेशनल डेस्क: कांग्रेस पार्टी के नेता और लोकसभा में दिनों अमेरिका के दौरे पर गए थे। राहुल गांधी की विदेश यात्राएं अक्सर विवाद का विषय रही हैं क्योंकि उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान कुछ ऐसे बयान दिए हैं जो एक जिम्मेदार नेता के लिए अनुचित हैं। हाल ही में अमेरिका यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में सिखों को पगड़ी पहनने और कड़ा पहनने पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। राहुल का इशारा भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर था और वह कहना चाहते थे कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के हित सुरक्षित नहीं हैं।
विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी सरकार के कार्यों की आलोचना करना और देश को अपने हिसाब से एक अलग और बेहतर राजनीतिक कार्यक्रम देना है, लेकिन विपक्ष और विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी एकता को बढ़ावा देना भी है ताकि देश की अखंडता बनी रहे। अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात करना बिल्कुल जायज है क्योंकि भारत का संविधान धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देता है। हम यह भी नहीं कह सकते कि अल्पसंख्यकों को कोई समस्या नहीं है लेकिन स्वतंत्र भारत में सिखों की एक विशिष्ट पहचान है।
सिख राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेना जनरल, गृह मंत्री और कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं और स्वतंत्र भारत की नियति को आकार देने में हमेशा उन्होंने अपना योगदान दिया है। भारत में भी सिख समुदाय को कई समस्याओं सामना करना पड़ा, जिनमें दिल्ली में सिखों का नरसंहार का और श्री दरबार साहिब परिसर पर भारतीय सेना द्वारा किया गया अमानवीय हमला प्रमुख है। 1980 और 90 के दशक में सिख युवाओं के साथ किस तरह दुर्व्यवहार किया गया, यह किसी से छिपा नहीं है। इन सभी घटनाओं के बावजूद भी सिख समुदाय भारत के राष्ट्रीय जीवन में अपना योगदान दे रहा है क्योंकि सिख समुदाय जानता है कि भारत में और भारतीय समाज में सिखों के प्रति व्यापक भेदभाव नहीं है, लेकिन अतीत में जो हुआ वह इसी का परिणाम है एक राजनीतिक वर्ग की धूर्त राजनीति थी। यह वही राजनीतिक पार्टी है जिसके नेता आज राहुल गांधी हैं।
आज यह देखकर बहुत आश्चर्य होता है कि विदेशों में बैठे तथाकथित सिख कट्टरपंथी, अलगाववादी कैसे राहुल गांधी के इस बयान के समर्थन में आ गए हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता चरणजीत सिंह चन्नी और प्रताप सिंह बाजवा राहुल गांधी के बचाव में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर श्री दरबार साहिब पर हुए सैन्य हमले को गलत बता रहे हैं, लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं कि वह सैन्य हमला और 84 का सिख नरसंहार किसके लिए था ?
राहुल गांधी को इन सबसे बरी करने के लिए यह तर्क दिया जा रहा है कि जो किया गया वह उनकी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी ने किया था। यह सर्वविदित तथ्य है कि राजीव गांधी ने दिल्ली सिख नरसंहार के अपराधियों को शरण दी थी। पुलिस अधिकारी जूलियो एफ, रिवैरो ने इस बात का खुलासा अपनी किताब 'ए बुलेट फॉर बुलैट' में किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि जब उन्होंने राजीव गांधी से दिल्ली सिख नरसंहार के न्याय के बारे में बात की, तो राजीव ने खुद उन्हें डांट लगाकर चुप करा दिया। ये सारी बातें और तथ्यों को अब राहुल गांधी की दादी और पिता पर डाल कर राहुल को बेदाग किया जा रहा है। लेकिन क्या तथाकथित सिख चरमपंथी नेता इस बात का जवाब देंगे कि दिल्ली नरसंहार में अहम भूमिका निभाने वाले कमलनाथ को राहुल गांधी का संरक्षण क्यों था? मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके बेटे नकुलनाथ को मध्य प्रदेश की बींद लोकसभा सीट से सांसद बनाया गया ?
सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की भाजपा सरकार ने सिख समुदाय के कई महत्वपूर्ण लंबित कार्य किए हैं, जिनमें करतारपुर कॉरिडोर खोलना, सिखों की काली सूची को समाप्त करना, एस.जी.पी.सी. में केवल नियुक्त सिखों को वोट देने का अधिकार देना शामिल है। जी.एस.टी. को खत्म करना, सिख स्मारक बनाना, लाल किले पर श्री गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस मनाना और कलगीधर पातशाह के छोटे बेटों का शहीदी दिवस राष्ट्रीय स्तर पर मनाना जैसे कई काम करके सिख दिलों को शांति मिली है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दुनिया के 180 से ज्यादा देशों में जहां भारतीय दूतावास हैं, वहां श्री गुरु नानक 35 देव जी का प्रकाश उत्सव मनाया गया। वर्षों से सिख समुदाय के मन में हमेशा यह पीड़ा रही है कि दिल्ली और भारत के अन्य शहरों में सिखों के नरसंहार के अपराधियों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उन आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाया गया है, जिनमें सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर जैसे लोग शामिल थे, जो हजारों सिखों की हत्या करके आजादी का आनंद ले रहे थे। पिछले 10 वर्षों से सत्ता में रही नरेंद्र मोदी सरकार ने ईमानदारी से सिख समुदाय के साथ बातचीत शुरू की है जिसका पूरे सिख समुदाय को स्वागत करना चाहिए।